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सुदर


जायगी। एक बात और सुनाऊँ सकीना! शक्ङर भी मेरे साथ कूद रहे हैं।"

"शङ्कर!" सकीनाने विस्मयसे कहा।

"शङ्कर रत्न है सकीना, रत्न! मेरे साथ वह दुनियाके छोर तक जाता, ऑक्सफर्ड में मैं बराबर उसकी याद करता रहा।"

"लेकिन, सफदर! शङ्करकी कुर्बानी तुमसे ज्यादा है।"

"उसने कुर्बानीके़ जीवनको स्वयं अख्त़ियारकर रखा है, सकीना! जान-बूझकर वह वहाँसे टससे मस नहीं हुआ। नहीं तो वह अच्छा वकील हो सकता था, अपने महकमेमें भी तरक्की कर सकता था।"

"उसके दो बच्चों के मरने पर तो मैं बहुत रोई थी; किन्तु अब समझती हूँ, चारमे से दोका बोझ कम होना अच्छा ही हुआ ।”

  • और चम्पा शङ्करके इस निश्चयको कैसे लैगी, सकीना है।
  • वह आँख मूंदकर स्वीकार करेगी, उसने मुझे तुम्हारा प्रेम सिखलाया, सम्फू |”

"हमे अपने भविष्यके रहन सहनके बारे में भी तय करना है।" तुमने तो अभी कहा, मैंने सोचनेको अवसर कहाँ पाया है तुम्हीं बतलाओ १५ हमारे गाँवकी दाई शरीफन और मंगरको छोड़कर बाकी सारे नौकरोंको दो महीनेकी तन्खाह इनाममें देकर बिदाकर देना होगा। “ठीक ।' दोनों मोटरोंकों बेच देना होगा ।" *"बिलकुल ठीक है?

  • एक दो चारपाई और कुछ कुसियोंके सिवाय घरके सभी सामानको बँटवा या नीलामकृर देना होगा ।

“यह भी ठीक ।” १६लाटूश रोड पर जो खालाकी हवेली में मिली है, उसीमें हमें चलकर रहना होगा और इस बँगलेको किराये पर लगा देना होगा ।