पृष्ठ:वोल्गा से गंगा.pdf/३५५

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धीलासै गगा मिटाना चाहती है; किन्तु पहली जबर्दस्त परीक्षामें सोवियत सरकार उत्तीर्ण हो चुकी है। हाँ, फ्रांस, अमेरिकाके पूंजीपतियों की मदद हंगरीमें छः मास ( मार्च-अगस्त सन् १६१६ ई० )के बाद वहाँसे सोवियत शासनको खत्मकर दिया गया । सोवियत रूसकी मज़दूर-किसान सरकारका अस्तित्व दुनियाके लिये मारी प्रेरणा है, और जिन शक्तियों ने सोवियत शासनको कायम किया, वह हर मुस्कमें कामकर रही हैं। लड़ाई बन्द होने के साथ अँग्रेजोंने रौलट कानून पास करनेकी जल्दी क्यों की है उसी विश्वको क्रान्तिकारिणी शक्तिको कुंठित करनेके लिये, फिर सोचिये—वह क्रान्तिकारी शक्ति दुनियाको उलटने के लिये भूमडलके कोने-कोने में दौड़ती, न अँग्रेज़ रौलट कानून बनाते, न रौलट कानून बनता और न गाँधी उसके विरुद्ध जनताको उठनेके लिये आवाज़ लगाते ने जनताको आवाज़ लगाते और न छिपा हुआ दावानल सन् १८५७ के बाद फिर आज जगता । इसीलिये मैंने कहा कि हम बिलकुल एक नये क्रान्ति-युगमें दाखिल हो रहे हैं। | * तो श्रापका ख्याल है-गाँधी क्रान्तिकारी नेता हैं १ ज गाँधी कि गोखले-जैसे नर्मदली नेताको अपना गुरु मानते हैं, वह कैसै क्रान्तिकारी नेता बन सकते हैं, सेम्फू भाई है | गाँधीकी तमाम बातों और उनके तमाम विचारोंको मैं क्रान्तिकारी नहीं मानता शङ्कर ! क्रान्तिकारी शक्ति के सात साधारण जनताका जो उन्होंने आवाहन किया है, मैं इतने अशमे उनके इस कामको क्रान्तिकारी कहता हूँ। उनकी धर्मकी दुहाई-लिलाफतकी खास करकों मैं सरासर क्रान्ति-विरोधी चाल समझता हूँ। उनके कलों-मशीनोंको छोड़ पीछेकी ओर लौटनेको भी मैं प्रतिगामिता समझता हूँ। उनके स्कूलों, कालेजको बन्द करनेकी बात को भी मैं इसी कोटिमें रखता हूँ । तुम्हारा बेटा भावे सफ्फू भैया ! मेरा साँस तो रुकने लगा था, जब तुम गाँधीकी प्रशंसाम आगे बढ़ रहे थे। मैंने सोचा था-कही स्कूलकालेजोंको शैतानको कारखाना तुम भी तो नहीं कहने जा रहे हो ?'