पृष्ठ:वोल्गा से गंगा.pdf/३५३

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वोगासे गंगा क्या आपका मतलब लाल ( लाजपतराय ), बाल (बाल गंगाधर तिलक, पाल ( विपिनचन्द्र पाल ) से है ? "ये लाल, बाल, पाल उसीके बाहरी प्रतीक थे। जापानने रूसको (८ फरवरी सन् १९०४-सितम्बर सन् १६०५ ई० ) हराकर अपनेको बड़ोंकी बिरादरीमे शामिलकर एशियामें एक नई जाग्रति फैलाई । कृर्जनके बैंग-भंग और इस एशियायी विजयने मिलकर काग्रेसकै मञ्च पर लच्छेदार भाषसे आगे जानेके लिये भारतीय नौजवानको प्रेरणा दी। आधी शताब्दी बाद भारतीयोंने अपने लिये मरना सीखा। इसमें आयलैंड और रूसके शहीदकै उदाहरणोंसे हमे भारी मदद मिलीं । इसलिये इसकी जड़को भी सिर्फ भारतके भीतर ही ढूँढना क्या ग़लत न होगा ! ज़रूर, वस्तुतः दुनिया एक दूसरेसे नथी हुई है।" शकर, किसी क्रान्तिकारी आन्दोलनकी ताक़त निर्भर करती है दो बातों पर उसे अन्तर्राष्ट्रीय परिस्थिति तथा उदाहरणोंसे कितनी प्रेरणा मिल रही है, और देशमें सबसे ज्यादा क्रान्तिकारी वर्ग उसमें कहाँ तक भाग ले रहा है ? पहले शक्ति-स्रोतका कुछ उदाहरण दे चुका । दूसरा शक्ति-स्रोत है भ्रमकर किसान जनता । क्रान्तिकी लड़ाई वही लड़ सकता है, जिसके पास हारनेके लिये कमसे कम चीज़ हो । सकीनाके अधरराग, इस बँगले और बायके ताल्लुकदारीकै गाँवोंके हाथसे निकल जानेका जिसको डर हो, वह क्रान्तिका सैनिक नहीं हो सकता। इसलिये मैं कहता हूँ कि क्रान्तिको वाहन साधारण जनता ही हो सकती है ।” "मैं सहमत हूँ।" । “अच्छा, तो आज इस जनतामें जो उत्तेजना है, उसे जान रहे हो । और दूसरी ओरसे अन्तर्राष्ट्रीय परिस्थितिसे क्या प्रेरणा मिल रही है, इसकी और भी ध्यान दो, पिछला महायुद्ध ( सन् १९१४-१८) दुनियामें भारी आग लगा गया है। वह युद्ध था ही साम्राज्यवादको उपज–जी और तैयार भालके लिये सुरक्षित बाज़ारको पकड़ रखने या छीननेका परिणाम । जर्मनीने नये उपनिवेश लेना चाहे, और