पृष्ठ:वोल्गा से गंगा.pdf/३४९

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

३८ वोल्गासै गंगा “तुम सन् १८५७से शुरूकर रहे हो, सफ्फू भाई ! बहुत भारी चिरावा मार रहे हो ?

  • तो मैं कहूँ शंकर क्यों ?

मैं सुनना चाहता हूँ । भाभीकी पुडिङ्ग बन ही रही है, और कल है इतवार | वस, आदमी घर ख़बर दे आयगा कि शकर इसी लखनऊमें जिन्दा है, अपनी भाभी सकीनाकी पुडिड्स खाकर खर्राटे ले रहा है, और फिर मै रात भर सुननेके लिये निश्चिन्त हूँ ।” | "शंकर | ऑक्सफर्डके मेरे जीवनका आधा मज़ा किरकिरा हो गया, सिर्फ तुम्हारे न रहनेसे । खैर, मैं ही नहीं, भारतसे बाहर सभी जगह राजनीतिके विद्यार्थी मानते हैं कि पिछली सदी में और इस सदीमें भी इंग्लैण्डकी राजनीतिमें जो भी परिवर्तन हुए हैं, वे अन्तर्राष्ट्रीय परिस्थिति-संसारकी दूसरी राज-शक्तियोंकी गतिविधिसे मजबूर होकर ही, और इस परिस्थितिके कारणों पर भी विचार करे, तो वह मुख्यतः आर्थिक ही मिलेंगे । सन् १८५७ ई०की चोटके बाद हमारा मुल्क तो सो गया, या यह कहिये कि हमारे परिवर्तनकी गति इतनी धीमी हो गई किं उसे हम सोना ही कह सकते हैं। किन्तु दूसरे मुल्कों में भारी परिवर्तन हुए। इज़ार वर्ष पहले रोमन साम्राज्यके वक़से टुकड़े-टुकड़े हुआ इटली सन् १८६० ( ता० २ अप्रैल में एक राष्ट्र बनने में सफल हुआ, और उसने हमारे नौजवानों के लिये मॅज़िनीं और गेरीवाल्डी जैसे आदर्श प्रदान किये । रोमन साम्राज्यको विध्वंस करनेमें समर्थ होकर जो जर्मन अपनेको एकत्रित न कर सके, वह सन् १८६६ ई० में अधूरे तौरसे और फ्रान्स-विजयके बाद सन् १८७१ ( ता० १८ जनवरी ) में करीब-करीब पूरे तौरसे, श्रुसियाके नेतृत्वमें अपना एक राष्ट्र बनानेमें समर्थ हुए । सन् १८६६ ई०के इस परिवर्तनको ससारका एक भारी परिवर्तन समझिए । इसीके करने पर जर्मनी, फ्रान्सकी महान् शक्तिको -सन् १८७० ई०में परास्त कर पैरिस और वसई पर अपनी विजयध्वजा गाड़नेमें समर्थ हुआ, और जिसकी वजहसे इंग्लैण्ड, रूसकी अखें