पृष्ठ:वोल्गा से गंगा.pdf/३३७

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बोलतानै गंगा ही दिन अपने अधिकारमें कर लें । मान लीजिये उन्होंने अफवाह फैलाई छि बागी फौज-मरण रखिये इमें इसी नामसे याद क्रिया बायेगा---गाँव-शहरको लूटती. बाल-बच्चों को काटती चली आ रही है। नाना साहव तो क्या लोग विश्वास कर लेंगे ? मंगलर्सिह-लो बात बार-बार कही जायेगी, और जिसके खिलाफ दूरी आवाज नहीं निकलेगी, उसपर लोग विश्वास करने लगेंगे । । नाना साहब-"मैं समझता हूँ, इमर्ने कार्तसको ले धर्म-द्रोही झहर अँग्रेजोंको इतना बदनाम कर दिया है कि उनकी कोई बात नहीं चलेगी ।। | मंगलसिंह---मैं तो इसे सुदाई लिये काफी नहीं समझता, खैर । एक बात और हमारी इस लड़ाईको अँग्रेज सिर्फ बगावत कहकर दुनियामें प्रचुर करेंगे, किन्तु दुनियामें हमारे दोस्त और अँग्रेजों बहुतते दुश्मन भी हैं, जो हमारी त्वतन्त्रताकी कामना करेंगे—-खासकर यूरोपियन जातियों में ऐसे कितने ही हैं। इसलिये हमें अपने युइको सारे यूरोपियन लोक बिज्ञाक बहाद नहीं बनाना चाहिये, और न लड़नेवाले अंग्रेज बाल-द्ध-स्त्रियोंके ऊपर हाथ छोड़ना चाहिये । इससे युद्धमें हुने कोई लाभ न होगा, उलटे खामखाइके लिये हिन्दुस्तानी दुनिया इनैशने लिये बदनाम हो जायेंगे । । नाना साहब-"यह तो सेनापतिबके ख्याल करनेकी बात है, और मैं समझता हूँ किस उक्त क्या करना चाहिये, इसे वह खुद निश्चय र सकते हैं। मंगलसिंह---"आखिरी गत यह कहनी है कि जिस युद्धके लड़नेमें सिपाही अपने प्राणोंकी बाजी लगा रहे हैं, और हम साधारण जनताले भी सहायताकी आशा रखते हैं, उसे सिफ चर्चीवाले कातृसोंके झगड़े पर आधारित नहीं होना चाहिये । हमें बतलाना चाहिये किं अँग्रेजोंको निकल इम किस तरहृका राज्य चलाना चाहते हैं, उस राज्यमें