पृष्ठ:वोल्गा से गंगा.pdf/३३२

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मंगलसिह भी गाँवों में बिखरे, वैकार किसानों और कारीगरोंको कारखानेमें इकट्ठा किया जायेगा । फिर वह अपनी मजदूर सभार्ये कायम कर लड़ना सीखेंगे, और फिर साम्यवादको झडा ले इंगलैंडके मजदूरों के साथ कंधेसै-कधा मिला मानवस्वतत्रताकी अपनी लड़ाई लड़ गै, और दुनियाको पुजीपतियोंकी गुलामीसे मुक्त कर समानता स्वतृत्रता, और भ्रातृभावका राज्य स्थापित करेंगे। किन्तु यह तो सैकड़ों सालकी बात है मैगी ११ साथ ही मार्कसका कहना है, कि यद्यपि अंग्रेजोंने साइँसकी दैन--- कल कारखानोंसे भारतको वैचित रखा है, किन्तु साथ ही साइंसकी दूसरी देन युद्धके हथियारोंसे भारतीय सैनिकोको हथियारबंद किया है। यही भारतीय सैनिक भारतकी स्वतंत्रताको लौटानेमें भारी सहायक साबित होंगे। क्या यह नजदीकका समय हो सकता है।" नज़दीक नहीं एनी ! वह समय आ गया है। अखबारोंमे पढ़ा न, सात फर्वरी ( १८५६ ई० ) अवधको अंग्रेजी राज्यमें मिला लिया गया है। “हाँ, और वेईमानीसे " 'बेईमानी और ईमानदारी पर हमें बहस नही करनी है । अंग्रेज व्यापारियोंने सब कुछ अपने स्वार्थ के लिये किया किन्तु अनजाने भी उन्होंने हमारी भलाईके कितने ही ठोस काम किये हैं। उन्होंने आसप्रजातंत्रोको तोड़ विस्तृत देशको हमारे सामने रखा, उन्होंने अपने रेलों, तारो, जहाजोंसे हमारी कूपमंडूकताको तोड़ विशाल जगत्के साथ हमारा नाता स्थापित किया। अवधको देखल करना कुछ रंग लायेगा, और मैं इसीकी प्रतीक्षा करता था, एनी !” “माक्र्सके शिष्यसे और क्या आशाकी जा सकती है। गंगाका प्रशान्त तट फिर अशान्त होना चाहती हैं। विदुरके विशाल महलमें पैशवाका उत्तराधिकारी तख्त ही नहीं पॅशनसे वंचित