पृष्ठ:वोल्गा से गंगा.pdf/३२५

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चीलगासै गंगा गंगाको फूल चढ़ाती थी तुम्हारी माँ ११ बड़े भक्तिभावसे, जैसे ईसाई प्रभुमसीहके प्रति श्रद्धा प्रदर्शित करते हैं। मैं उस वक्त पहिले-पहित ईसाई हुआ था, मुझे यह घृणित प्रथा मालूम होती थी, किन्तु अब न जाने कितनी बार मै गंगाके प्रति अपने मानसे अपमानके लिये पश्चात्ताप कर चुका हूँ । ईसाइयतने जिस भावनाको नष्ट करना चाहा, हमारे कवियोंने उसे फिरसे उज्जीवित किया । जानते हो न हम लोग इसे पिता देम्स कहते हैं । और हम गंगा माई।" तुम्हारी कल्पना और मधुर है भंगी ? अच्छा सुनाओ अपने बारे में ।” वनारस और रामनगर गंगाके इस पार उस पार थोड़ी दूरपर बसे हैं। मैंने सोलहवर्ष तक गंगाको देखा। मेरा मकान बनारसमे गगाके बिल्कुल किनारे था, उसके नीचे साठ पौड़ियोंकी सीढ़ी गंगा तक चली गई थी । शायद जब मैंने आँख खोली, तभी भने गोद में ले गगाको मुझे दिखलाया । क्या जाने क्यों, जान पड़ता है, गगा मेरे खूनमें है। रामनगरमे मेरे दादाका किला है, किन्तु उसे मैंने एक-दो बार ही गंगा पर नावसे चलते वक्त देखा है। भीतर जाकर या अधिक बार देखनेकी इच्छा नहीं होती थी। माँ, तो और भी उधर नहीं जाना चाहती थीं । और जानती हो, एनी जो कभी उस कितेकी युवराज्ञी बनती, और आज अंग्रेजों के डर के मारे बनारसके एक घरमे नाम बदलकर जिन्दगी काट रही हो, वह कैसे उस किलेको आँख खोलकर देखनेका साहस करती । मैरे दादा महाराज चैतसिंहको लुटेरे वरन् हेस्टिंग्जने नाही पामाल किया- हेस्टिग्जको इंगलैडमें अपने कियेका कुछ फल मिला, किन्तु मेरे दादाके साथ कभी न्याय नहीं किया गया। छीने राजको लौटाना सस्ता न्याय नहीं था, एनी ! "तुम्हारी माँ अब भी जिन्दा हैं ?