पृष्ठ:वोल्गा से गंगा.pdf/३०२

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  • सुरैया भारी प्रयत्न किया, और उसमे उन्हें बहुत कुछ सफलता भी प्राप्त हुई; किन्तु क्या वहाँ अधेरी रातमे हम इस प्रकार निशक घूम सकते। यह क्यों ? । “यहाँ सब खुशहाल हैं। किसानोंके खेत अंगूर, सेब, गेहूं पैदा करते हैं ? | "हमारे भी खेत सोना बरसाते हैं ? । “तो सोनेके लूटनेवाले हमारे यहाँ ज्यादा हैं, सुरैया !” ।

और कमल । देखते हो, यहाँ क्रिसीके घर में जानैपर कैसी वेतकल्लुफीसे गिलास और बोतल मेजपर आ जाती हैं।” * *हिन्दमे पिता जी इसीलिये वदनाम थे कि वह बादशाहके साथ पानी पी लेते थे । । और मुझे मेरी दाइयाँ सिखलाया करती थी कि राजपूतनियाँ बड़ी नज्स (गदी ) होती हैं, उनके घरमें सूअर पकता है। काश कि, वहाँकै अधे यहाँ आकर देखते। इस दुनियामे छोटी-बड़ी बात नहीं ।” । “इस दुनिया में खाने-पीनेकी छूत-छात नहीं ।” | "फ्लोरेन्स एक है, कभी हिन्द भी इसी तरह एक होगा, कमल ।' यह तभी होगा, जब हम सागरकी शरण लेगे, सागर विजय प्राप्त करेंगे । यदि हम यहीं नहीं आये होते, तो क्या कभी हमारी आंखें खुलतीं, सुरैया ! । “सागर-विजय | । ' वेनिस् सागर-विजयिनी नगरी है सुरैय्या ! वेनिस्की यह नहरोको सड़के, ये ऊँचे ऊँचे प्रासाद उसी सागर-विजयके प्रसाद है। आज वैनिस् सागर-विजयमें अकेली नहीं है, उसके कितने ही और भी प्रतिहृदी हैं, किन्तु मुझे यह साफ मालूम होता है, अब सागर-विजययोंका ही ससार पर शासन होगा । मैं अपनेको सौभाग्यवान् समझता हूँ। जो मेरे हृदय में इसकी और प्रेरणा हुई।