पृष्ठ:वैशाली की नगरवधू.djvu/३८९

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शिष्टमंडल इस अकिंचन की अध्यक्षता में इसलिए भेजा है कि हम लोग वैशाली गणतन्त्र के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करें । भन्ते , अन्त में मैं यह और कहना चाहता हूं कि दो ही चार दिन में युद्ध में भाग लेने गान्धार से चिकित्सकों और तरुणों का एक सुदृढ़ दल वैशाली में आ रहा बड़ी देर तक हर्षध्वनि होती रही। काच्यक गान्धार चुपचाप आसन पर बैठ गए । अब गणपति उठे और सर्वत्र सन्नाटा छा गया । उन्होंने कहा " भन्तेगण सुनें , आयुष्मान् नाग व जयराज और काप्यक के वक्तव्य आपने सुने । आयुष्मान् सिंह के शौर्य की जितनी प्रशंसा की जाय , थोड़ी है । परिस्थिति पर आपने विचार किया है । अब मैं आपके सामने प्रस्ताव रखता हूं । प्रथम , प्रान्त और कोष की रक्षा । दूसरे , अश्वारोही, पदातिक और नौसेना का संगठन । तीसरे, राजस्व - कोष और युद्धोत्पादन उत्पादन । चौथा , कूटनीति , प्रचार और गुप्तचर । । ___ " भन्तेगण , प्रथम बार मैं प्रस्ताव करता हूं कि प्रान्त और कोष की रक्षा के लिए आयुष्मान् सूर्यमल्ल का निर्वाचन हो । आयुष्मान् सूर्यमल्ल महाअट्टवी - रक्खक के पद पर सुचारु कार्य करते रहे हैं । वे समस्त सीमाप्रान्तों , नगर - दुर्गों एवं घाटों तथा राजमार्गों से परिचित हैं । अब जो आयुष्मान् को इस पद पर चुनते हैं वे चुप रहें । ” परिषद् में सन्नाटा था । गणपति ने थोड़ा ठहरकर कहा - “ दूसरी बार भी भन्तेगण सुनें -जिसे यह पद आयुष्मान् के लिए स्वीकृत हो , वे चुप रहें । " थोड़ी देर फिर सन्नाटा रहा । गणपति फिर बोले - “ तीसरी बार भी भन्तेगण सुनें जिसे प्रान्त और कोष्ठ की रक्षा के लिए आयुष्मान् सूर्यमल्ल का निर्वाचन स्वीकृत हो , वे चुप रहें , न बोलें । " क्षण - भर ठहरकर गणपति ने घोषित किया कि सूर्यमल्ल उस पद पर चुन लिए गए। अब गणपति ने कहा - “ अब भन्तेगण , प्रथम बार सुनें , मैं आयुष्मान् सिंह को छत्तीस गणराज्यों की संयुक्त समस्त चतुरंगिणी , पदाति , अश्वारोही और नौसेना के लिए सेनापति का प्रस्ताव रखता हूं । जो सहमत हों , वे चुप रहें । सभा में सन्नाटा था । क्षण- भर ठहरकर गणपति ने फिर कहा - “ भन्तेगण , दूसरी बार फिर सुनें , मैं आयुष्मान् सिंह को सेनापति पद के लिए चुनने का प्रस्ताव रखता हूं । जो सहमत हों , चुप रहें । ” इस पर भी सन्नाटा रहा । गणपति ने कहा - “ तीसरी बार भन्तेगण सुनें , समस्त सेनापति के पद पर आयुष्मान् सिंह के लिए मैं प्रस्ताव करता हूं । " इसी समय सिंह धीरे से परिषद्- भवन के बीचोंबीच आ खड़े हुए । गणपति ने कहा - “ आयुष्मान् कुछ कहना चाहते हैं , कहें । ” सिंह ने कहा - “ भन्तेगण सुनें , गणपति और जनसंघ जो सम्मान मुझे देना चाहते हैं , उसके लिए मैं आभार मानता हूं । परन्तु मेरी अभिलाषा है कि इस पद के उपयुक्त पात्र वज्जीगण के महाबलाध्यक्ष सुमन हैं । अत : मैं प्रस्ताव करता हूं कि इस सेनापति पद पर वही रहें और हम लोग उनकी अधीनता में युद्ध करें । " एक- दो सदस्यों ने कहा - “साधु-साधु! ”