कन्दरा में उठा ले गया और महामहिमामयी वैशाली की जनपद- कल्याणी देवी अम्बपाली को खा गया । प्रभात के धूमिल प्रकाश में वे थकित, भग्न - हृदय , खिन्न योद्धा युवक नीचे मुंह लटकाए मधुवन में लौट आए। उन्हें देखते ही मधुवन का वासन्ती पवन लोगों के रुदन से भर गया । देवी अम्बपाली के बहुमूल्य मीनध्वज रथ पर सुकुमारी मदलेखा औंधा मुंह किए सिसक -सिसककर रो रही थी । सभी के मुंह से एक ही बात निकल रही थी कि देवी अम्बपाली को सिंह ने खा लिया । तत्काल ही जो जैसा था उसी स्थिति में मधुवन से चल दिया और एक दण्ड सूर्य बढ़ते - बढ़ते वैशाली की गली -गली में देवी अम्बपाली के सिंह द्वारा खा लिए जाने की कथा फैल गई। श्रेष्ठिचत्वर की सभी हाटें तुरन्त बन्द हो गईं। संथागार का गणसन्निपात तुरन्त स्थगित कर दिया गया । समस्त वैशाली का गण देवी अम्बपाली के सिंह द्वारा खा लिए जाने से शोक - सन्ताप - मग्न हो गया ।
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