पृष्ठ:वैशाली की नगरवधू.djvu/२५७

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“ उसे तुरन्त राजधानी में बुला लिया जाए। यहां आने पर महाराज जैसा उचित समझें , उस पर अभियोग करें । " महाराज एकदम असंयत हो उठे । उन्होंने कहा - “ सेनापति , तुम आज ही बारहों मल्ल पुत्र - परिजनों को सीमान्त पर भेज दो और सेना का भी प्रबन्ध करो और पुत्र , तुम श्रावस्ती जाकर नगर -व्यवस्था अपने अधीन कर लो । " राजपुत्र विदूडभ कृतकृत्य होकर उसी समय श्रावस्ती को चल दिए । उन्हीं के साथ उनके राजवैद्य मित्र जीवक कौमारभृत्य भी श्रावस्ती गए ।