पृष्ठ:वैशाली की नगरवधू.djvu/२४४

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“मैं ऐसा कर सकूँगा। " “ बन्धुल के बारहों पुत्र - परिजन सीमान्त से जीवित नहीं लौटेंगे और बन्धुल को स्वयं उस अभियान पर जाने को विवश होना पड़ेगा। बिम्बसार को पराजित करके वह गर्व तो बहुत अनुभव करता है, पर उसका सैन्य -संगठन इस युद्ध में छिन्न -भिन्न हो गया है आयुष्मान् , उसे कौशाम्बीपति और उसके अमात्य यौगन्धरायण से लोहा लेने में बहुत सामर्थ्य खर्च करना पड़ेगा । " ___ “ किन्तु बन्धुल के बारहों पुत्र- परिजनों का निधन कैसे होगा आचार्य? वे सब भांति सुसज्जित और संगठित हैं । " । “ उनकी चिन्ता न करो आयुष्मान् ! पृथ्वी का सर्वश्रेष्ठ सामर्थ्यवान् महामात्य यौगन्धरायण मेरा बालमित्र है। मैं आवश्यक संदेश आज ही पायासी महा सामन्त को सीमान्त भेज दूंगा । बन्धुल के पुत्र - परिजनों का वध सीमान्त पहुंचने के प्रथम ही हो जाएगा। " “ यह तो असाध्य - साधन होगा भन्ते आचार्य! " “ और एक बात है, पायासी कारायण के साथ साकेत को लौटेगा । मार्ग ही में वह उसे तुम पर अनुरक्त कर देगा । साकेत पहुंचने पर और महाराज से अनादृत होने पर उसे भलीभांति समादृत करके मित्र बना लेना तुम्हारा काम है । " " इस सम्बन्ध में आप निश्चिन्त रहें आचार्य ! " " तो पुत्र, इसी यज्ञ - समारोह में तुम्हारी अभिसन्धि पूरी होगी । किन्तु एक बात है। " " क्या ? " “ अनाथपिण्डिक सुदत्त शाक्य गौतम का जैतवन में नित्य स्वागत करता है। " " हां आचार्य, मुझे ज्ञात है । ” “जाओ तुम भी और श्रमण से कपट- सम्बन्ध स्थापित करो। " “ आचार्य , क्या उसे मार डालना होगा ? " । " नहीं आयुष्मान्, वह अभी जीवित रहना चाहिए । वह इन सब राजाओं को , सेट्टिपुत्रों को मार डालेगा । ये ही आज तुम्हारे शत्रु हैं । आयुष्मान , अभी उसे अपना कार्य करने दो । परन्तु यह श्रमण विशाखा के पूर्वाराम मृगारमाता - प्रासाद में कब जा रहा है? ” “ इसी पूर्णिमा को , आचार्य ! ” " उसी समय राजमहिषी मल्लिकादेवी भी गौतम से दीक्षा लेंगी? " “ ऐसी ही व्यवस्था सेट्रि - पुत्रवध विशाखा ने की है । " " तो तू ऐसा कर सौम्य कि बन्धुल मल्ल की पत्नी मल्लिका भी उस श्रमण के चंगुल में फंस जाए , वह भी राजमहिषी के साथ ही दीक्षा ले। " “ यह तो अतिसरल है आचार्य! उससे मेरा अच्छा परिचय है। मैं उसे सहमत कर लूंगा। " " श्रमण की खूब प्रशंसा करो आयुष्मान् और राजमहिषी के साथ ही गौतम के पास जाने की उसे प्रेरणा दो । दे सकोगे ? " । “ दे सकूँगा। मैं जानता हूं, महिषी का उस पर बहुत प्रेमभाव है। "