सोम ने शक्ति हाथ में ले ली। कुण्डनी ने वेणी से विषाक्त कटार निकालकर हाथ में ले ली। उसने कहा—"इसकी एक खरोंच ही काफी है। इससे मृत पुरुष को उसके घाव को छूने ही से औरों की मृत्यु हो जाएगी। यह हलाहल में बुझी है।"
तीनों लपककर एक ओर अन्धकार में अदृश्य हो गए। जो असुर दूसरी ओर शोर कर रहे थे, वे शायद उन्मत्त और हतज्ञान हो रहे थे। सोम ने देखा, नगरद्वार पर चार तरुण असुर पहरा दे रहे हैं।
कुण्डनी ने हंसकर उनसे कहा—"अरे मूर्खों, तुमने मेरा चुम्बन नहीं लिया! एक को उसने आलिंगनपाश में बांध चुम्बन दिया। अधर छूते ही वह मृत होकर गिरा। दूसरे ने हुंकृति कर कुण्डनी पर आक्रमण किया। उसकी पीठ में सोम ने शक्ति पार कर दी। शेष दो में एक ने कुण्डनी की कटार का स्पर्श पाकर, दूसरे ने सोम की शक्ति खाकर प्राण त्यागे। सोम ने अपने अश्व पर सवार हो तारों की छांह में उसी समय असुरपुरी को त्यागा। असुर तरुण भी उनके साथ ही भाग गया।