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"अवश्य, परन्तु असुर उन्हें भोग-छू नहीं सकेंगे। वे सब विद्युत्प्रभ हैं?"
इसी समय कुण्डनी ने मोहक भावभंगी से नृत्य आरम्भ कर दिया। वह प्रत्येक असुर के निकट जाकर लीला-विलास करने लगी। मदिरा से उन्मत्त असुरों के मस्तिष्क उसका रूप-यौवन, लीला-विलास और भाव-भंगी, देखकर बेकाबू हो गए। सब कोई कुण्डनी को पकड़ने को लपकने लगे। किसी में संयत भाव नहीं रह गया।