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वैदेही-वनवास

करूँगा बड़े से बड़ा त्याग।
आत्म - निग्रह का कर उपयोग।
हुए आवश्यक जन - मुख देख ।
सहूँगा प्रिया असह्य - वियोग ।।९९।।

मुझे यह है पूरा विश्वास ।
लोक-हित-साधन में सब काल ।।
रहेंगे आप लोग अनुकूल ।
धर्म - तत्वों पर ऑखे डाल ॥१००॥

दोहा


इतना कह अनुजों सहित, त्याग मंत्रणा-धाम ।
विश्रामालय में गये, राम - लोक - विश्राम ॥१०१॥