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वेनिस का बांका
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अपने को इतना शीघ्र लोगोंकी दृष्टि में चढ़ा रहा है"।

परीजी―"फ्लोडोआर्डो अवश्य मारा जायगा"।

काण्टेराइनो―(अपना पानपात्र भर कर) “परमेश्वर करे कि अबकी बार उसके पानपात्र की मदिरा घोर विष हो जाय"।

फलीरी―"मैं इस व्यक्ति से साक्षात् अवश्य करूँगा।

काण्टेराइनी―"मिमो अब मुद्रा के विषय में चिन्ता करनी चाहिये नहीं तो सम्पूर्ण कार्य्य असमाप्त रह जायगा। अब तुम्हारे पितृव्य कव इस संसार को परित्याग करेंगे?"।

मिमो―कल संध्या समय परन्तु हाय! मेरा हृदय कांपता है"।



द्वादश परिच्छेद।

रोजाबिलाको वर्ष ग्रन्थि के दिवस से वेनिसमें कोई स्त्री जिसे तनिक भी रूपवती होने का गर्व था ऐसी न थी जो सिवाय उस फ्लारेंस के नुकीले युवक के दूसरे की चर्चा करती हो। उसकी सुन्दरता का विवरण प्रत्येक युवती की जिह्वा पर था, जो अपना प्रेम प्रगट न करती थी वह मनहीं मन कुढ़ कुढ़ कर रहती थी, बहुतेरी युवा स्त्रियों को उसके ध्यान में रात्रि को निद्रा नहीं आती थी, जो निज कटाक्षों से प्रेमियों का मानस परिहरण में पूर्ण अभ्यस्त थी, प्रायः श्रृंङ्गार समय वह अपना स्वरूप दर्पण में अवलोकन कर उसासें लेती, और कितनी नारियाँ जिन्होंने निज पातिव्रत की धुन में बाहर आना जाना तक तज दिया था, अब अजस्र फ्लोडोआर्डो की एक झलक पाने के अनुराग में उपवनों और राजमार्गों में भटकती फिरती थीं। यह अवस्था तो युवतियों की हुई,