किया और वहाँ से सीधा तुमारे पास चला आता हूँ। मुझे अद्यावधि अपने को जीवित देखकर आश्चर्य्य होता है। यही घटना है जो आज के दिवस मुझ पर बीती है"।
परोजी―"ईश्वर की शपथ है कि मुझे तो उन्माद हो जायगा"।
फलीरी―"जो युक्ति हमलोग करते हैं उसका उलटाही फल होता है और जितना दुख सहन करते हैं उतनाही निराश होते जाते हैं"।
मिमो―मेरी सम्मति तो यह है कि यह परमेश्वर की ओरसे शिक्षा हुई है कि हमलोग अपने नीच कर्मों को परित्याग करें। क्यों तुमलोग क्या विचार करते हो?"
काण्टेराइनो―"छिः! ऐसी छोटी छोटी बातों का ध्यान करना सर्वथा हेय है। ऐसी ऐसी घटनाओ से हमारे आन्तरिक वीरता के कपाट खुलते हैं। मुझे तो जितनी कठिनाइयाँ सामने होती हैं उतनाही उत्साहित करती हैं, और मैं उनका निवारण करने के लिये उतनाही तत्पर होता हूँ।
मिमो―"अच्छा, पर काण्टेराइनो तुमको मेरे जान परमेश्वर को धन्यवाद प्रदान करना चाहिये कि एक बड़ी आपत्ति से साफ बच कर निकल आये"।
फलोरी―"परन्तु क्यों भाई फ्लोडोआर्डो तो यहाँ परदेशी और अपरिचित है उसे डाकुओं के रहने का स्थान क्यों कर ज्ञात हुआ?"।
कांटेराइनो―"मैं नहीं कह सकता, क्या आश्चर्य्य है कि मेरे समान उसे भी दैवात् उनका अनुसन्धान लग गया हो, परन्तु शपथ है उसकी जिसने मुझे उत्पादन किया, मैं फ्लोडो- आर्डो को क्षतग्रस्त करने का स्वाद अवश्य चखाऊँगा"।
फलीरी―"फ्लोडोआर्डो यह निस्सन्देह बुरा करता है कि