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एकादश परिच्छेद
 

हूँ कि परोजी को उससे ईर्षा और द्वेष है"॥

परोजी―"मुझको? पागल हो। रोजाविला चाहे जर्मनी के महाराजाधिराज से पाणिपीड़न करे अथवा वेनिस के एक नीचतर भारवाहक की पत्नी बने मुझको तनिक भी चिन्ता नहीं"।

परोजी की इस निरपेक्षता पर फलीरीने एकवार अट्टहास किया।

मिमो―"एक बात तो जो व्यक्ति फ्लोडोआर्डो का शत्रु है वह भी स्वीकार करेगा कि उसके समान वेनिस में द्वितीय रूपवान युवक नहीं है। मेरे जान तो वेनिस में कोई युवती ऐसी आचारवान और पातिव्रतपरायण न होगी जो उसको देख कर सम्मोहित और कामासक्त न हो जाय"।

परोजी―"हाँ यदि स्त्रियाँ भी तुम्हारे समान निर्बुद्धि होंगी कि गरीके दर्शनाभावमें छिलके पर रीझ जाँय तो निस्सं- देह ऐसा करेंगी"।

मिमो―"पर शोक तो यही है कि स्त्रियाँ सदा छिलके को ही देखती हैं"।

फलीरी―"वृद्ध लोमेलाइनो उससे बहुत ही अभिज्ञ ज्ञात होता है, लोग कहते हैं कि वह उसके पिता का बड़ा मित्र था"।

मिमो―"उसीने तो महाराज से भेट कराई है।

परोजी―"चुप, देखो कोई कुण्डो खड़खड़ा रहा है"।

मिमो―"सिवाय कांटेराइनो के और कौन होगा, अब देखें उन्होंने डाकुओं का पता लगाया अथवा नहीं"।

फलीरी―(अपने स्थान से उठकर) "मैं शपथ कर सकता हूँ कि यह कांटेराइनो के पाँव की आहट है"।

उस समय कपाट खुल गया और कांटेराइनो पटावेष्टित