भरा दिखाई देता है उसे न छू सके।"
रोजाबिला―"और क्यों महाशय! क्या आप ही वह पुरुष हैं जो स्वर्गीय पदार्थों से वंचित रखे गये हैं और क्या आप ही वह पिपासित हैं कि जिसके अभिमुख शीतल तोयपूरित पान पात्र रखा है, परन्तु छू नहीं सकते? आपका संकेत अपनी ही ओर है अथवा और किसी की ओर?"
फ्लोडोआर्डो―"आप मेरा अभिप्राय ठीक समझीं, अतएव अयि कोमलांगी रोजाबिला! तुमही बतलायो कि मैं वास्तव में अभागा हूँ वा नहीं!"
रोजाबिला―"तो वह स्वर्ग कहाँ है जिससे आप वंचित हैं।"
फ्लोडोआर्डो―"जहाँ रोजाबिला सी अलौकिक देवांगना है वही स्वर्ग है।"
यह सुन कर लज्जित हो रोजाबिलाने आँखें नीची करलीं।
फ्लोडोआर्डो ने रोजाबिला का कर पल्लव स्व करकमलों में ससम्मान लेकर पूछा "राजकन्यके आप अप्रसन्न तो नहीं हुईं? मेरी यह स्पष्ट बात आपको अरुचिकर तो नहीं हुई?
रोजाबिला―"कौन्ट फ्लोडोआर्डो आप फ्लारेंस के निवासी हैं, हमारे वेनिस नगर में इस तरह की प्रशंसाको अनुवित समझते हैं, विशेषतः मैं इसे नहीं पसंद करती, और आपकी चपल रसना से इसको नहीं सुना चाहती"
फ्लोडोआर्डो?―"जीवन की शपथ है, जैसा मेरा अनुभव था मैंने वैसाही कहा, मैंने कुछ आपकी स्तुति नहीं की।"
रोजाबिला―"अच्छा वह देखो नृपति महानुभाव मान- फ्रोन और लोमेलाइनो के साथ इस आयतन में आते हैं। वह हम लोगों को नर्तकों में खोजेंगे, आओ चलो उन लोगों में सम्मिलित हो जावें॥