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दशम परिच्छेद
 

विद्यमान है और महाराज के पदपाथोज परिसेवन में लगे रहने के लिये निवेदन करता है।

फ़्लोडोपोंने अपनी टोपी सन्मान रक्षा के लिये उतार ली, बहरूप को निवारण किया, और बेनिस के विख्यात शोसक के सम्मुख शिर झुकाया।

अण्ड्रियास―हमने सुना है कि तुम इस राज्य की सेवा करने का अपार अनुराग अपने अन्तःकरण में रखते हो।

फ्लोडोआर्डो―यही मेरी कामना है, यही मेरी उमंग है, परन्तु इस नियम के साथ कि यदि महाराज मुझे इस प्रतिष्ठा के योग्य समझें।

अण्ड्रियास―लोमेलाइनो तुम्हारी अत्यन्त प्रशंसा करते हैं यदि जितना उन्होंने वर्णन किया है, वह सत्य है तो तु ने अपना देश क्यों छोड़ा।

फ्लोडोआर्डो―इस कारण से कि मेरे देश का शासक अंड्रि- यास सदृश पुरुष नहीं है।

अंड्रियास―सुनते हैं कि तुमारा उद्योग उन डाकुओं के निवास स्थान के खोज लेने का है जिन्होंने वेनिस के बहु तेरे लोगों की आंखों से अश्रुप्रवाह कराया है।

फ्लोडोआर्डो―यदि महाराज मेरा विश्वास करें, तो मैं तो अपना शिर देना भी स्वीकार करता हूँ।

अंड्रियास―परदेशी से इतना होना बहुत दुर्लभ है, अच्छा हम परीक्षा करेंगे कि तुम निज कथन को कहांतक पूरा कर सकते हो।

फ्लोडोआर्डो―बस महाराज इतना बहुत है, कल्ह अथवा परसों मैं अपना प्रण पूरा करूँगा।

अंड्रियास-क्या तुम यह प्रतिज्ञा ऐसी तत्परता से करते हो भला तुम इस बात से भी अभिज्ञ हो कि इन दुष्टात्माओं को