यह होगी कि उन डाकुओं को जो अब तक पुलीस को भी कूआ झकाया किये हैं पकड़वा दूँगा।"
अंड्रियास―"अजी यह बात तो कहने की है, कर दिखाना बहुत कठिन है। अच्छा, तुमने उसका नाम फ्लोडोपाडों न बताया था? उससे जाकर कहो कि मैं उससे बात करना चाहता हूँ।"
लोमीलाइनो―"अच्छा, मेरा आधा अभिप्राय तो सिद्ध हुआ, बरन पूरो कहना चाहिये क्योंकि फ्लोडोआर्डो को एक बार अवलोकन करना और उसे स्वीकार न करना उतना ही कठिन है जितना कि स्वर्ग को देखना और उसमें बैठने की अभिलाषा न करना। किसी मनुष्य के लिये फ्लोडोआर्डो पर दृष्टिपात कर उसे न पसन्द करना, उतना हीं असंभव है जितना कि अक्षहीन के लिये उस व्यक्ति से घृणा करना जिसने उसके चक्षुत्रों की फूली को निवारण कर दिया हो और उसको प्रकाश और प्राकृतिक वस्तुओं की सुन्दरता देखने की शक्ति प्रदान की हो।"
अंड्रियास―(मुसकरा कर) "जब से लोमेलाइनो हमारी और तुम्हारी भेंट है किसीके विषय में मैंने कभी तुमको इतना उत्तेजित नहीं पाया। अच्छा जाओ इस बिचित्र पुरुष को यहाँ लाओ।"
लोमिलाइनो―"महाराज! अभी लाया, परन्तु राजनंदिनी तुम भली भांति सावधान रहना, मैं द्वितीय बार तुमको जताये देता हूँ कि अपने को सँभाले रहना।"
रोजाबिला―"परमेश्वर के लिये लोमिलाइनो उसे यहाँ शीघ्र लाओ। तुमने मेरी उत्सुकता की भी अधिक वृद्धि कर दी है।
लोमिलाइनो―आयतन से बाहर गया!