जावेंगे और उनके चित्त को भी प्रत्येक प्रकार का समाधान प्राप्त रहेगा क्योंकि इन धर्म्मोपजीवी लोगों के आशीर्व्वाद और शाप का सत्कार मुद्रा से बढ़कर किया जाता है। बस अब सब लोग प्रयत्न करने पर तत्पर हो जावो। मैं प्रस्थान करता हूँ, प्रणाम!
नवम परिच्छेद।
पाठको! अब यहाँ फिर अबिलाइनो और उसके साथियों की चर्चा की जाती है। अबिलाइनों ने ज्योंही माटियो के वध करने से जिसका वर्णन वेनिसके प्रत्येक व्यक्ति की जिह्वा पर था अवकाश पाया, अपना परिच्छद इतना शीघ्र और इस उत्तमता के साथ बदल डाला कि किसी को थोड़ा भी संदेह न होता था कि उसीने माटियो को मारा है, वह उपवन से बेरोक टोक निकल आया और अपने पीछे कोई ऐसा चिन्ह न छोड़ा जिससे उसका पता लग सके। संध्या कालके समीप वह सिन्थिया के घर पर पहुँचा और कुण्डी हिलाई। सिन्थियाने आकर कपाट खोला और अवि- लाइनो गृह में प्रविष्ट हुआ। पहुँचते ही उसने सिन्थिया से एक ऐसी भयानक वाणी से जिसे सुन कर वह कांप उठी पूछा कि और लोग कहाँ हैं। सिन्थिया ने ज्यों त्यों उत्तर दिया "वह लोग दिनही से सो रहे हैं कदाचित् आज किसी विशेष कार्य के लिये जानेवाले हैं।" अविलाइनो एक कुर्सी पर बैठ कर अपने विचारों में ऐसा मग्न हो गया कि उसे किसी बात की सुधि न रही।