बस चलता तब वे अपने पिछले अपराधों पर रोते हैं और बुरी बातों से घृणा और उनका परित्याग करने के लिये बहुत कुछ कोलाहल मचाते हैं। अपने विषय में तो यह कहता हूँ कि मैं भलाई और बुद्धिमानी के साधारण मार्गों को छोड़ और इस मार्ग को स्वीकार कर बहुत प्रसन्न और तुष्ट हूँ। इससे मुझे अवगत होतो है कि मैं उन साधारण लोगों में नहीं हूँ जो नाक भौं सिकोड़े रोनी सूरत बनाये कोने में बैठे रहते हैं और कोई नवीन बात सुन कर कांप उठते हैं। मेरे भाग्य में विषय सँभोग लिखा है और मैं इस लिपि को प्रत्यक्षर पूर्ण करूँगा, बरन सच पूछो तो यदि मेरे जैसे लोग कभी कभी न उपजते रहैं, तो संसार पूर्णतयो सो जाय। हमलोग पुरानी बातों के उलट पुलट कर उसको जगाते हैं, मनुष्य जाति को उभारते हैं कि निज कच्छप सदृश गति को वेगवान करे। बहुतसे अकर्म्मा पुरुषों के सामने एक ऐसी बात उपस्थित कर देते हैं, जिसकी मीमांसा लाखों तरह से वे करते हैं पर उसको हल नहीं कर सकते। बहुत से लोगों के हृदय में नव्य बिचारों को भी सन्निवेशित कर देते हैं। संक्षेप यह कि हमलोग संसार के लिये उतने ही उपयोगी हैं जितना कि आँधी जो वायु की मलीन, रोगजनक, तथा हानिकर वस्तुओं को उड़ा ले जाती है।।"
फलीरी―"ओहो कैसी प्रामाणिक बातें हैं! मेरी समझ में तो काण्टेराइनों रूम की बड़ी हानि हुई कि तुम्हारा नाम उसके सुवक्तात्रों की तालिका में संयोजित न था, परन्तु खेद की बात यह है कि जितना तुम वक गये उसमे सिवाय चिकने चुपड़े शब्दों के एक बात भी काम की न थी-अब सुनो, इस बीच में जब कि तुमने व्यर्थ बककर अपने मित्रोंका मस्तिष्क शून्य कर दिया, फलीरी ने कुछ कर रक्खा है, पादरी गान्जे-