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सप्तम परिच्छेद
 


वहां पाया गया, उपबन का द्वार बन्द करा दिया गया, और जितने लोग उसमें उपस्थित थे वह पहचान पहचान कर जाने पाये, परन्तु अविलाइनो का चिन्ह तक हस्त- गत न हुआ।

इस अद्भुत घटना का समाचार वेनिस भर में अति शीघ्र फैलगया और अविलाइनो के विषय में-जिसका नाम रोजा- विलाने भली भांति अपने हृदय पत्र पर लिख लिया था और सम्पूर्ण वृत्तान्त वर्णन करके जिसके नाम को प्रख्याति प्रदान की थी-प्रत्येक पुरुष को आश्चर्य था और सब को उसके देखने का अनुराग हो गया था। जिसे देखिये वह रोजाविला की दशा पर दुःख प्रकाश करता और कहता कि उस बेचारी के हृदय पर उस समय क्या बीता होगा, और उस आततायी पर धिक्कार शब्द का प्रयोग करता, जिसने उस को मार डालने के लिये माटियो को सन्नद्ध किया था। प्रत्येक व्यक्ति उन समस्त क्रमरहित बातों का क्रम मिलाने के लिये एक न एक कल्पित कारण सोच लेता, चाहे वह कैसा ही अमूलक क्यों न हो। जिस पुरुषने इस समाचार को सुना, अपने अन्तरङ्गों को कह सुनाया और जिसने कहा उसने अपनी ओर से दो एक बातें और जोड़ कर मिला दीं, यहाँ तक कि बढ़ते बढ़ते वह एक पूरा उपाख्यान हो गया, जिसका नाम सुन्दरता का प्रभाव निर्विवाद रख सकते हैं क्योंकि स्त्रियों और पुरुषों ने यह बात परस्पर निश्चित कर ली थी कि अविलाइनो ने रोजाविलाको अवश्य मारडाला होता पर उसकी अलौकिक सुन्दरता के कारण उसका हाथ न उठ सका। उसने रोजाविला के जीवन की यद्यपि रक्षा की थी तथापि लोगों को भय था कि मुनाल- डश्चीका राजकुमार जिसके साथ रोजाविलाका विवाह निर्धा रित हुआ था, और जो नेपलूसका एक बड़ा धनवान और