और मैं―क्यों रोजाबिला तू जानती है कि किसने तेरे कपोलों का चुम्बन किया? जा अपने पितृव्य महाशय से कह दे कि वह अबिलाइनों बाँका था।
यह कहकर वह कुञ्ज से झपटकर निकल गया।
सप्तम परिच्छेद।
अविलाइनो ने बड़ी बुद्धिमानी की कि वहाँ से तत्काल भाग खड़ा हुआ, क्योंकि उसके चले जाने के कुछ देर बाद बहुत से लोग दैवात् टहलते हुए उधर आये, और माटियो का शव और रोज़ा- विला को भय से त्रस्त, पीतवर्ण, काँपती, देखकर आश्चर्य्य करने लगे। बात की बात में वहाँ एक भीड़ एकत्रित हो गई और प्रतिक्षण अधिक होने लगी। जो मनुष्य आता वह उस वृत्तान्त को श्रवण करना चाहता, और रोज़ाविला को भी प्रत्येक पुरुष के समादर के लिये सम्पूर्ण समाचार बार २ दुहराना पड़ता। कुछ लोग वहाँ महाराज के पार्श्ववर्तियों में से भी उपस्थित थे, जो लपककर उसके सहचरों को बुला लाये। रोज़ाबिला के चढ़ने की नौका तो प्रस्तुत थी ही, वह तत्काल उसपर चढ़कर अपने पितृव्य के प्रासाद में प्रविष्ट हुई।
अधिकारियों ने आज्ञा दी कि प्रत्येक नौका जहाँ की तहाँ रहे और जब तक उसका निरीक्षण न हो ले वहाँ से न हटने पाये। इसके अतिरिक्त ज्यों ही पहले पहल माटियो का शव