किसो के जी में इतनी अभिलाषा न रही कि दूसरी बार उस की शक्ति का परीक्षण करे। निशा अधिक व्यतीत हो गई थी यहां तक की ऊषा काल की स्वेतता समुद्र से स्पष्टतया दृष्टि गत होती थी। अतएव डाकू अलग २ होकर अपनी अपनी कोठरियों में जा सोये।
बिलाइनो को-जिसे उसकी शक्ति के बिचार से अपने समय का बायुजात अथवा भीम कहना चाहिये-डाकुओं के साथ रहते हुए बहुत दिवस नहीं व्यतीत हुये थे, कि वह सबों की दृष्टि में समा गया, प्रत्येक उससे परम स्नेह करता था और सब उसका सम्मान करते थे क्योंकि उसमें डाकूपन की योग्यता कूट कूट कर भरी थी। पहले तो उसके शरीर में बल ऐसा था कि दर्शक चकरा जाते थे, दूसरे तीब्र इतना था कि अवसर और समय की बात तत्काल सोच कर निकालता थो, तीसरे भय की दशा में कभी घबराता अथवा साहसको हाथ से न जाने देता था। इन सब बातों से सिद्ध होता था कि वह प्रकृति ही से डाकूगरी और बांकपन के गँवका बनाया गया है । सिन्थिया भी अब उससे स्नेह कर चली थी, परन्तु अविलाइनो की कुरूपता उसकी दृष्टि में कण्टक समान खटकती थी॥
अविलाइनो को अति शीघ्र विश्वास होगया कि माटियो वास्तव में इस साम्राज्य का स्वामी है। इस मनुष्य के डाकूपन की सीमा असीम हेद हो गयी थी, भय तो नाम को छू