पृष्ठ:वेनिस का बाँका.djvu/२५

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दूसरा परिच्छेद

नारुटीकी कठोरताने उस बेचारे के हृदय पर ऐसा प्रभाव डाला कि संसार नेत्रों में अन्धकारमय दिखलाई देने लगा। आकुलता की अधिकता से वह शीघ्र शीघ्र पद उठाता कभी अपने भाग्य को कोसता, कभी गतदिवसों को स्मरण करके लहू के घंट पीकर रह जाता। कभी हँसता, कभी दाँत पोसता, कभी प्रस्तर-निर्मित प्रतिमा समान खड़ा रह जाता, जैसे किसी बड़ी घटना को सोच रहा हो, और फिर इस रीति से झपट कर आगे बढ़ना मानो कमर कसकर उसे सम्पादन करने चला। अन्त को एक उत्तुङ्ग आगार के स्तम्भ से लग कर अपनी गत आपत्तियों को स्मरण कर उसने शोक को अभिनव किया, जब सम्बरण करने की शक्ति शेष न रही तो चिल्ला कर कहने लगाया तो प्रारब्ध मुझसे ऐसे अद्भुत और अनोखे बीरता के कार्यों को करायेगा जो आगामि समय के लिये एक विचित्र उपाख्यान समान चिरस्मरणीय रहें। अथवा ऐसे कठिन और दुस्सह अपराध, जिनके श्रवण से अखिल अण्डकटाह कांप उठे! फलतः प्रत्येक को चमत्कृत करना अपना कार्य है, रुसाल्वो साधारण पुरुषों की भांति नियमित चाल नहीं चल सकता, उसे लघु बातों से क्या प्रयोजन। भला यह भाग्य ही का फेर है न जो यहां तक खींच लाया? किल के ध्यान में यह बात आ सकती है कि नेपल्स के सबसे बड़े व्यक्ति और महापुरुष का तनय बेनिस में रोटियों के लिये परमुखापेक्षी हो? मैं-मैं जो बड़े से बड़े बीरता के कार्य करने की शरीर में शक्ति और हृदय में साहस रखता हूँ, इस दशा को प्राप्त हुआ, कि जीर्ण