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भारतेन्दु-स्मारक ग्रन्थमालिका-संख्या १

कुसुम―संग्रह

सम्पादक पं॰ रामचन्द्र शुक्ल, प्रो॰ हिन्दु-विश्वविद्यालय तथा लेखिका हिन्दी-संसारकी चिरपरिचित श्रीमती बंगमहिला। इसमें रवी- न्द्रनाथ ठाकुर, देवेन्द्रकुमार राय, रामानन्द चट्टोपाध्याय आदि धुरन्धर विद्वानों के छोटे-छोटे उपन्यासों तथा लेखों का अनुवाद हैं। कुछ लेख लेखिका के निजके हैं। पुस्तक बड़ी ही रोचक तथा शिक्षाप्रद है। इसे संयुक्तप्रान्तकी तथा मध्यप्रदेशकी [ Vide order no.9754, dated 12-12-26] गवर्नमेण्टने पुरस्कार पुस्तकों तथा पुस्तकालयों [ Prize books and Libraries ] के लिए स्वीकृत किया है। कुछ स्कूलों में पाव्य-पुस्तक भी नियत की गयी है। छपाई-सफाई सुन्दर, सात रंग-विरगे चित्रों से विभूषित, ऐटीक पेपरपर छपी पुस्तक का मल्य १॥]

पुस्तकपर आयी हुईं कुछ सम्मतियाँ―

काशी-नागरी-प्रचारिणी सभाने उन्नीसवें वर्ष के कार्य्य विवरण में "कुसुम संग्रह" की गणना उत्तम पुस्तकों में करके इसका गौरव बढ़ाया है।

The book will form an admirable prize Book in girl's shool… We repeat that the book will from a nice and useful present to females. It is not less interesting to the general reader.

―The Modern Rencar.―

The language of the book is excellent and the subjects treated are also very useful.

MAJOR B. D. Basu, I.M.S. [ Retired ] Editor, the Sacred Books of the Hindu Series.

सच्चे सामाजिक उपन्यासों के भण्डार की पूर्ति ऐसी ही पुस्तकों से हो सकती है।…इसमे ऐसी शिक्षाप्रद आख्यायिकाओं का समावेश है जिनको पढ़कर साधरणतया सभी स्त्रियोंके आदर्श उच्च हों सकते है और सामाजिक जीवन प्रशस्त जीवन बन सकता है।…भाषा बहुत सरल है, जिससे लेखिका का उद्योग भलीभाँति पूर्ण हो गया है।

―नवजीवन