पृष्ठ:वेनिस का बाँका.djvu/१८१

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पुस्तकपर आयी हुइ कुछ सम्मतियाँ-

कोई टीका अबतक कालिज के छात्रों के लिए अर्वाचीन ढंगसे नहीं मिलती। किन्तु, इस टीका में साधारण विद्यार्थियों के लिए लिखते हुए भी कविके चमत्कार का स्थान स्थान पर निदर्शन कराया गया है। महत्त्वके शब्दोंके अर्थ दिये हैं। अलंकार बतलाये हैं। कहीं-कहीं प्रीतमजी के उर्दू पद्यानुवादके नमूने भी हैं। भाषा स्पष्ट है। विद्यार्थियोंकी जितनी आवश्यकताएँ हैं, सभी पूरी की गयी हैं।

[ सरस्वती ]

पुस्तक लेखक की अभिनन्दनीय कृति है। यह वस्तुतः अपने नामको सार्थक करती है। यह छात्र और गुरु दोनों के लिए एक दृष्टि से समानत: उपयोगिनी है। बिहारी सतसई के इस तरह के भी एक अनुवादकी आवश्यकता थी। हर्ष की बात है कि यह कमी हिंदी के सुप्रसिद्ध लेखक―ला॰ भगवानदीन द्वारा पूरी हो गयी। इसके लिए कोई भी योग्य व्यक्ति लाला साहब की सराहना किये बिना नहीं रह सकता।

( सौरभ )

'शारदा' आदि अन्य पत्रिकाओ तथा बड़े-बड़े विद्वानों ने भी इस पुस्तक की बड़ी प्रशंसा की है। स्थानाभावके कारण यहाँ अधिक सम्म- तियाँ उद्धृत नहीं की गयी हैं।

This book is sanctioned as a reference book for Hindi Teachers in high schools of Central Provinces & Berar.

Vide order no. 6801, Dated 28-9-26.