पृष्ठ:वेनिस का बाँका.djvu/१७५

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भाषाभूषण

जोधपुर–नरेश महाराज यशवंतसिंह (प्रथम) की यह अत्यन्त सुन्दर रचना है। संक्षेप में अलंकारों के लक्षण तथा उदाहरण दिए गए हैं। इसका संपादन भी बा॰ ब्रजरत्नदास बी॰, ए॰ ने बड़ी उत्तमता से आधुनिक ढंग से किया है। भूमिका में अलंकार की विवेचना और ग्रंथ तथा ग्रन्थकार के परिचय में सभी ज्ञातव्य बातें दी गई हैं और टिप्पणियों में शब्द भाव तथा लक्षणों का विशेष रूप से स्पष्टीकरण किया गया है। ग्रंथकार का चित्र तथा चरित्र भी बड़े खोज के साथ दिया गया है पृ॰ संख्या सौ के ऊपर, एंटीक मोटा काग़ज़ मू॰॥ पठा-श्रीरामचन्द्र पाठक, व्यवस्थापक पाठक एण्ड सन, राजादरवाजा, काशी।

हिंदू विश्वविद्यालय के प्रो॰ पं॰ अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध' साहित्यरत्न लिखते हैं―इस ग्रन्थ का संपादन बड़ी योग्यता से किया गया है, पाद टिप्पणियाँ मार्मिक और योग्यता पूर्ण हैं, दोहों का अनुवाद सरल और सुन्दर भाषा में किया गया हैं जिससे उक्त भाव और अर्थ समझने में बड़ी सुविधा हो गई है। अलंकारो का स्पष्टीकरण भी अच्छा किया गया है।

पं॰ भायाशंकर याज्ञिक बी॰ ए॰, भरतपुर लिखते हैं–यह संस्करण बहुत उत्तम निकला है। इससे विद्यार्थियों को बहुत सुगमना होगी। कोर्स में होने के कारण ऐसे संस्करण की बड़ा आवश्यकता थी।

श्रद्धेय पं॰ महावीर प्रसाद जी द्विवेदी, कानपुर से लिखते हैं–पुस्तक प्रसिद्ध और प्रमाणिक है। आपने अच्छा किया जो इसका संपादन टिप्पणी युक्त कर दिया।

सुप्रसिद्ध साहित्य–शिल्पी पं॰ रामचन्द्र शुक्ल, अध्यापक हिंदू विश्वविद्यालय लिखते हैं कि '…ने टीका टिप्पणी के साथ इसका संपादन करके वास्तव में एक अभाव की पूर्ति की है। विद्वान्