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चतुर्विंश परिच्छेद
 

मैं महाराज के मुख्य शयनागार में प्रविष्ट हो सकता था और जब समय उनके टलजाने का आया तो वह एकाकी आपही नहीं छिप बैठे बरन मानफरोन और कोनारी को भी इस बात पर आमादा किया। बारे परमेश्वरने यह दिवस् दिखाया कि सम्पूर्ण युक्तियाँ सफल हुईं; डाकुओं का नाम निशान मिट गया, उनके उत्तेजन दाता पकड़े गये और महाराज के तीनों मित्र जीवित और निर्विघ्न बचे। अब भी यदि आपलोग उचित समझते हों तो अबिलाइनों प्रस्तुत है चाहे उसका शिर काटिये चाहे उसे फाँसी दीजिये।'

सब लोग एक मुँह होकर―'हूँ हूँ शिर काटना? कोई तुम्हारे समान हो तो ले,॥

अंड्रियास―"धन्य! अबिलाइनों जो कार्य तुमने किया है ऐसा कार्य अल्प लोगों ने किया होगा, मुझे उस दिवस का तुमारा कथन स्मरण है जब तुमने कहा था 'महाराज! इस समय बेनिस में हम और तुम दोही बड़े ब्यक्ति हैं, परन्तु सच पूछो तो अविलाइनो तुम मुझसे कहीं बढ़ कर हो। मेरे पास रोजाविला से अधिकतर कोई उत्तमोत्तम और बहुमूल्य पदार्थ नहीं है और न उससे बढ़कर कोई मुझे प्रिय है मैंने उसको तुम्हें प्रदान किया'॥

निदान परमेश्वर ने दोनों प्रेमी और प्रेयसी का इस रीति से समागम कराया॥

*समाप्त*