पृष्ठ:वेनिस का बाँका.djvu/१६७

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
वेनिस का बांका
१५०
 

मोह नहीं करते जितना कि तुमको करना उचित था, अब वह आपकी नहीं है मेरी है।'

यह कह उसने रोजाबिला को उठा कर अपनी छाती से लगाया और उसके अरुणाधरोंका चुम्बन करके कहा 'प्यारी रोजाबिला अब तुम मेरी हो चुकी; उहँ! क्या करूँ कुछ बश नहीं चलता बुरे भाग्य की क्या औषध है। हाय! कतिपय क्षण में अबिलाइनो का शिर धरातल पर रजपूरित लोटता होगा पर मुझे हर्ष इस बात का है कि तुम मुझसे उतना स्नेह करती हो जितना कि स्नेह के मार्ग की सीमा है, अब मुझे किसी बात का दुःख नहीं। अच्छा अब मुख्य कार्य को देखना चाहिये।

उसने रोजाबिला को जो मूर्छित हो रही थी कामिला की गोद- में बैठा दिया और आप आयतन में बीचों बीच खड़े होकर लोगों की ओर यों प्रवृत्त हुआ 'क्यों महाशयो आपलोगों का दृढ़ विचार है कि मेरा शिर कर्त्तन किया जाय? और अब मैं आपसे क्षमा और कृपा की आशा न रक्खूँ? बहुत उत्तम, जैसी आप लोगों को इच्छा हो कीजिये मुझे कुछ कथन की आवश्य- कता नहीं। परन्तु इससे प्रथम कि आप मेरे लिये कोई दण्ड निर्धारण करें मैं आप लोगों में से कतिपय व्यक्तियों का दण्ड निर्धारण करता हूँ, भली भांति एकाग्र चित्त होकर श्रवण कीजिये, आपलोग मुझको कुनारी का घातक, पेलो मानफ्रोन का नाशक, और लोमेस्लाइनो का बिनाशक, न समझते हैं, कहिये हाँ! अच्छा, पर आप उन लोगों को भी जानते हैं जिन्हों ने उनके विनाश करने के लिये मुझे सन्नद्ध किया था और मुझे सहस्रों मुद्रायें दी थीं। यह कह कर उसने सीटी बजाई जिसके साथ ही द्वार कपाट धड़से खुल गया। और पहरे के पदातियोंने भीतर घुस कर परोजी और उस के सहकारियों को दृढ़ पाश में बाँध लिया।