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द्वाविंशति परिच्छेद
 

आया तो हमलोगों के जीवन समाप्त हो जाने की आशंका है॥"

फ्लोडोआर्डो। '(मुसकान पूर्वक जिससे प्रसन्नता के बदले में दुःख का विकाश होता था) 'ऐ माननीया कोमलांगियो तुम कदापि कुछ भी न डरो क्यों कि अविलाइनो तुम्हारी किसी प्रकार की क्षति न करेगा, परन्तु उसका यहाँ आना अवश्य है इसलिये कि (बाँके की पत्नी) के विषय में प्रगटतया प्रार्थना करे'। यह कह कर उसने रोजाबिला की और संकेत किया।

रोजाबिला―'मेरे दृढ़ और अकृत्रिम मित्र तुमने मेरी चि- न्ताको निवारण किया मैं किस मुख से तुमको धन्यवाद प्रदान करूँ। अब मैं अबिलाइनो का नाम श्रवण कर कभी न डरूँगी, और रोजाबिला को अब कोई बाँके की पत्नी' न कहेगा'।

फलीरी―'क्या इस समय अविलाइनो इस आयतन में बिद्यमान है'।

फ्लोडोआर्डो―'हाँ'

एक कर्मचारी―'तो आप क्यों उसे लाकर उपस्थित नहीं करते, क्यों हमारे असमंजस को द्विगुण त्रिगुण कर रहे हैं'॥

फ्लोडोआर्डो―'तनिक क्षमा कीजिये अब उसके आगमन का समय समीप है॥ महाराज आप बैठ जायँ और दूसरे लोग महाराज के पीछे खड़े हों। अविलाइनो आता है'।

अविलाइनो आता है' इस कहने पर वृद्ध युवक स्त्री पुरुष सब विद्युत् समान अपने स्थान से कूदकर अंड्रियास के पीछे जा खड़े हुये। उस के भय से प्रत्येक का कलेजा बल्लियों उछल रहा था, परन्तु परोजी और उसके मित्रों की दशा सबसे निकृ- ष्टतम थी। महाराज अपनी कुर्सीपर अत्यन्त सावधानता पूर्वक मौनावलम्बन किये बैठे थे। उनका मुख अवलोकन करने से यह ज्ञात होता था, कि मानो उन्हें लोगों ने उस चोर और डाकुओं के मौलिमणि के विषय में अनुशाशन देने के लिये न्याय कर्त्ता