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वेनिस का बाँका
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रोजाबिला। (कामिला की ग्रीवासे लपटकर) प्रिये! कामिला तुमने कुछ सुना? वह दुष्टात्मा अबतक जीवित है, फ्लोडोआर्डो उसके रुधिर की बूँद भी अपनी गरदन पर नहीं ली।"

वह कर्म्मचारी जिसने शर्तलगायी थी "अजी महाशय काण्टे- राईनो मैंने आपसे एक सहस्र स्वर्ण मुद्रायें जीतीं।"

काण्टेराइनो। "हाँ महाशय! कुछ ज्ञात तो ऐसा ही होता है।"

अंड्रियास। 'बेटा तुमने वेनिस पर सदा के लिये बड़ा उपकार किया, और मैं प्रसन्न हूँ कि उस पर यह बहुत बड़ा उपकार फ्लोडोआर्डो का हुआ।"

एक कर्मचारी। मैं आपको इस उपकार के बदले में वेनिस के सेनेट की ओर से धन्यवाद प्रदान करता हूँ। अब हमलोगो को सबसे पहले यह कार्य्य करना है कि तुम्हारी इस उत्तमोत्तम सेवा का कोई उचित पुरस्कार निश्चित करें।"

फ्लोडोआर्डो। "(रोजाबिला की ओर कर द्वारा संकेत कर के) मेरा पुरस्कार वह है॥"

अंड्रियास। '(प्रसन्न होकर) 'वह अब तुम्हारी हो चुकी पर यह तो बताओ कि तुम उस दुष्टात्मा को कहाँ छोड़ आये हो? यहाँ उसको लेआओ जिसमे मैं उसको एकबार और देख लूँ। जब मुझसे समागम हुआ था तो उसने अत्यन्त अपमान पूर्वक कहा था 'नृपति महाशय मैं आप के समान हूँ इस संकीर्ण कोठरी में इस समय वेनिस के दो महद् व्यक्ति उपस्थित हैं॥" तनिक अब अवलोकन करूँ कि यह द्वितीय महद् व्यक्ति बँधा हुश्रा कैसा ज्ञात होता है॥"

दो तीन माननीय कर्मचारी। 'वह कहाँ है लाकर उपस्थित क्यों नहीं करते॥"

इस बातको सुनकर कतिपय स्त्रियाँ चिल्लाकर कहने लगीं परमेश्वर के लिये उस दुष्टात्मा को अलग ही रखो यदि वह यहाँ