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द्वाविंशति परिच्छेद
 

आपके सम्मुख लाकर उपस्थित कर दूँ तो रोजाबिला मेरी परिणीता होगी।"

अंड्रियास। (उसकी ओर अत्यन्त उद्विग्नता के साथ देख कर) "फ्लोडोआर्डो तुम सफल मनोरथ हुये? अबिलाइनो को तुमने धृत कर लिया?"

फ्लोडोआर्डो। "आपको इससे क्या यह कथन कीजिये कि यदि अविलाइनो को मैं लाकर आपके सम्मुख उपस्थित करूँ तो मेरा बिवाह रोजाबिला के साथ होगा अथवा नहीं।"

अंड्रियास। अच्छा तुम अबिलाइनो को जीवित अथवा मृतक मेरे सम्मुख लाओ रोजाबिला तुह्मारी है, मैं शपथ करता हूँ कि कदापि अपनी प्रतिज्ञा से न टलूँगा, और यह भी कहता हूँ कि उसको यौतुक इतना दूँगा कि तुम लोग जीवन पर्य्यन्त महाराजों के समान अपना जीवन व्यतीत करोगे।"

फ्लोडोआर्डो। क्यों महाशयो! आप लोगों ने नृपति महा- शय का शपथ श्रवण कर लिया।"

सब लोग एक साथ वोल उठे कि हम लोग तुमारे साक्षी हैं।

फ्लोडोआर्डो। (अत्यन्त धृष्टता से दो कदम आगे बढ़कर) तो श्रवण कर लीजिये अलाइनो मेरे आधीन है बरन आप के अधिकार में है।"

प्रत्येक व्यक्ति। (अकुलाकर) "वह हमारे वश में है? ऐ परमेश्वर! तू दयाकर, वह है कहाँ? अजी अबिलाइनो हमारे वश में है?"

अंड्रियास। जीवित है अथवा मृत हो गया?"

फ्लोडोआर्डो। "जी अबतक जीवित है।"

पादरी गाञ्जेगा। (अकुलाकर) "क्या अबतक जीवित है।"

फ्लोडोआर्डो। (अत्यन्त संत्कार पूर्व्वक नतस्कन्धहोकर) "हाँ महोदय! अबतक जीवित है।"