ज्ञात हुआ है कि किसी समय वहाँ एक वंश इस नाम का था, परन्तु बहुत दिवसों से उसका चिह्न पर्यन्त मिट गया यदि अब उसके कुछ लोग शेष भी रह गये हैं, तो वे प्रच्छन्न रहते हैं'।
गान्ज़ेगा―'अच्छा यह तो बताओ कि नृपति महाशय के यहाँ तुम सभों का निमन्त्रण है'।
कान्टेराइनो―'सबका'।
गाञ्ज़ेगा। 'यह बहुत अच्छा हुआ' ज्ञात होता है कि जब से महाराज के तीनों सहकारी बिनष्ट हुए हैं, मेरे कथन का उनके हृदय पर उत्तम प्रभाव हुआ है, और क्यों भाई संध्या समय नृत्य भी होगा! महाराज के परिचारक ने ऐसा ही तो कहा था?'
फलीरी। 'हाँ कहा तो था'।
मिमो। परमेश्वर करे कि इस निमन्त्रण की ओट में कोई मूढ़ रहस्य न हो, कहीं महाराज को हम लोगों के गुप्त कर्मो का भेद न ज्ञात हो गया हो, ऐ परमेश्वर तू दया कर, इस विषय के ध्यान से भी मेरा हृदय पानी हुआ जाता है।
गान्ज़ेगा। क्या व्यर्थ बकते हो भला हमारी अभि- सन्धि उन्हें क्यों कर ज्ञात हो गयी, यह बात सर्वथा अस- म्भव है।'
मिमो। 'असम्भव! वाह असम्भव की एक ही कही, अजी तनिक यह तो सोचो कि जब वेनिस के सम्पूर्ण चोर, ग्रन्थितक्षक, उपद्रवी और डाकू तुम्हारे सहकारी हैं तो क्या आश्चर्य्य है कि महाराज को भी इसका कुछ समाचार ज्ञात हो गया हो। भला जो भेद शतशः मनुष्यों को ज्ञात हो वह ऐसे चतुर और व्युत्पन्नव्यक्ति से कब छिपा रह सकता है।"
काण्टेराइनो―बस तुम निरे कादर ही हो, यह नहीं