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एकोनविंशति परिच्छेद
 

है, पर थोड़े ही समय बाद उसने पुनः महाराज से संभाषण आरम्भ किया।

फ्लोडोआर्डो―"महाराज आप मेरी उमंग को कम न होने दें, बरन मुझ को इस बात का उद्योग करने दें कि मैं आपको भी अपनी सिद्धि की आशा दिला सकता हूँ या नहीं। मेरी पहली प्रार्थना यह है कि कल आप ज्योनार का उत्तम उपकरण करें, और इसी ठौर बेनिस के संपूर्ण गण्य मान्य तथा प्रख्यात लोगों को चाहे स्त्री हों अथवा पुरुष बुलवायें, क्योंकि यदि मेरी मनोकामना सफल हो तो इस्से सुन्दर दूसरी बात नहीं, कि वह लोग मेरी कार्यकारिणी शक्ति को अपनी आँखों अवलोकन करें। विशेषतः पुलीस के माननीय कर्म्मचारियों को अवश्य बुलवाइयेगा, इसलिये कि उनका सामना उस अबिलाइनो से हो जाय, जिसकी खोज में उन्होंने व्यर्थ अपना समय बहुत दिनों तक नष्ट किया।

अंड्रियास ने उसे कुछ काल पर्यंत आश्चर्य और संशय की दृष्टि से देखकर प्रतिज्ञा की कि सम्पूर्ण लोग उसकी इच्छा- नुसार बुलाये जावेंगे।

फ्लोडोआर्डो। "मैंने यह भी सुना है कि जब से कुनारी का देहांत हुआ, आप में और पादरी गांज़ेगा में मिलाप हो गया है, और उन्होंने आपका समाधान कर दिया है, कि कुनारी ने जितने दोषारोपण परोजी कान्टेराइनों और उनके साथी अपर लोगों पर किये थे, वे सब निर्मूल थे। बर्तमान काल में मैंने अपनी यात्रा में इन नववयस्कों की बहुत प्रशंसा सुनी है, अतएव मैं चाहता हूँ कि वह भी इसी अवसर पर उपस्थित रह कर मेरी कार्यकारिणी शक्ति को अवलोकन करें तो अत्यन्त डाचत हो। यदि आपको इसमें कुछ आपत्ति न हो तो उन्हें भी बुलवा लीजियेगा"।