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वेनिस का बांका
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अंड्रियास―"स्मरण रक्खो कि अनुपयुक्त शीघ्रता प्रत्येक कार्य को विनष्ट करती है, ऐसा न हो कि इस समय तुमने जो कुछ थोड़ी बहुत सिद्धि लाभ की है वह भी तुम्हारी आतुर- ताके कारण नष्ट हो जावे।

फ्लोडोआर्डो―शीघ्रता महाशय! आप जानते ही नहीं कि जिस व्यक्तिका जीवन ऐसी बुरी रीति से बीता हो, जैसा मेरा व्यतीन हुआ है, अथवा जिसने इतनी आपत्तियाँ सहन की हों, जो मेरे भाग में आई हैं, वह जीवन पर्यन्त पुनः किसी बात में शीघ्रता न करेगा।"

रोजाबिला―(फ्लोडोआर्डो का कर ग्रहण कर) "पर प्यारे परमेश्वर के लिये तुम अपनी शक्ति पर इतना भरोसा मत रक्खो, मेरे पितृव्य तुमसे स्नेह करते हैं, उनकी शिक्षा अत्यन्त उपयुक्त है, तुमको अविलाइनों के यमधार से सावधान रहना उचित है।"

फ्लोडोआर्डो सब से उत्तम रीति उसकी यमधार से रक्षित रहने की यह है कि उसके यमधार को कार्य में परिणत होने का अवसर न दे, अतएव इस कार्य को चौबीस घण्टे में समाप्त हो जाना चाहिये नहीं फिर कभी न हो सकेगा। अब मैं नृपति महाशय आप से बिदाकी याँचना करता हूँ परमेश्वर ने चाहा तो कल्ह आप पर प्रमाणित कर दूँगा, कि प्रेमी के लिये किसी कठिन कार्य के करने पर उतारू हो जाना असंभव नहीं।

अंड्रियास―"सत्य है, पर उतारू होजाने से काम नहीं चलता, प्रयोजन तो पूरा करने से है।"

फ्लोडोआर्डो। "हा हन्त! यह बात तो―इतना ही कह कर वह रुक गया और फिर अत्यंत अनुराग से रोजाबिला को देखने लगा, उस समय उसकी आकृति से स्पष्ट प्रगट होता था, कि प्रतिक्षण उसकी उद्विग्नता अधिक होती जाती