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एकोनविंशति परिच्छेद
 

अंड्रियास। "शपथ करता हूँ कि तुम वेनिस के इस महानशत्रु को मेरे पास जीवित अथवा निर्जीन लाओ, फिर कोई विषय रोजाबिला को तुम्हारी पत्नी होने में न बाधक होगा, इस कथन की पुष्टता और दृढ़ता के लिये मैं तुमको अपना हाथ देता हूँ"।

फ्लोडोआर्डो ने महाराज के हाथ को अपने हाथ में लेकर तीन बार हिलाया, और इसके बाद रोजाबिला की ओर देख कर कुछ कहने ही वाला था, कि अचाञ्चक फिर पड़ा और निज कपालदेश ताड़नपूर्वक परिसर में शीघ्र शीघ्र टहलने लगा। इतने में सेण्टमार्क के गिरजे से पाँच बजने का शब्द श्रवणगत हुआ।

फ्लोडोआर्डो। ऐं; समय नष्ट होता है, अब विलम्ब न करना चाहिये (नृपति महाशय की ओर प्रवृत्त होकर) मैं चौबीस घण्टे के भीतर इसी राजभवन में अविलाइनो को लाकर उपस्थित करूँगा।"

अंड्रियास ने संशय पूर्वक अपना शिर हिलाया, और कहा "लड़के तुझे अपनी बात और प्रतिज्ञा का इतना भरोसा न करना चाहिये, मैं तेरी कार्यकारिणी शक्ति पर अधिक भरोसा रक्खूँगा।"

फ्लोडोआर्डो―(गम्भीरता और दृढ़ता के साथ) "अच्छा अब जो कुछ हो सो हो या तो मैं प्रतिज्ञापालन करूँगा या फिर भवदीय देहली पर पाँव न रक्खूँगा, मैंने उस दुष्टका कुछ अनुसन्धान लगाया है और मुझे आशा है कि अगले दिन आपको इसी स्थल पर और इसी समय एक कौतुक अवलो- कन कराऊँगा परन्तु यदि उसके बदले में मुझ पर कोई आपदा आवे तो मुझे उसके विषय में कुछ वक्तव्य नहीं हैं परमेश्वर की जो अभिलाषा हो सो हो।"