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वेनिस का बांका
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गुरुतर कार्य निर्धारण किया था, जो सर्वथा भय और आशं- काओं से भरा हुआ था। यदि तनिक भी अबिलाइनो को ज्ञात होता कि फ्लोडोआर्डो ने उसके पकड़ने के लिये बीड़ा उठाया है तो उस अनाथ का पूरा अभाग्योद हो जाता। परन्तु फ्लोडोआर्डो अपने हृदय से विवश था। जा नृपति महाशय ने रोजाविला के देने का भार इसी शर्त पर रक्खा, तो वह सिवाय स्वीकार करने के और क्या कर सकता था। कुछ काल उपरान्त उसने रोजाबिला को एक बार अवलोकन किया और फिर अंड्रियास की ओर बढ़ा।

अंड्रियास। कहो फ्लोडोआर्डो तुमारे हृदय ने क्या निश्चित किया"।

फ्लोडोआर्डो। "आप शपथ करके कथन कर सक्ते हैं कि यदि मैं अबिलाइनों को आपके अधिकार में कर दूँ तो रोजाबिला का परिणय मेरे साथ कर दीजियेगा"।

अंड्रियास―"निस्सन्देह परन्तु बिना इसके कदापि नहीं।

रोजाबिला―(शोकमय उछवास भर कर) "फ्लोडोआर्डो मैं डरता हूँ। कि कहीं इसका फल अथवा परिणाम अनिष्टकर न हो, तुम जानते हो कि अविलाइनो कैसा सुचतुर छद्मी और उसी के साथ दुष्ट है, परमेश्वर के लिये फ्लोडोआर्डो अपनी भलीभाँति रक्षा करो, क्योंकि यदि कहीं उस दुष्टात्मा से और तुम से मुठभेड़ हुई तो फिर उसकी यमधार जिससे"।

फ्लोडोआर्डो। (उसे शीघ्रतापूर्वक रोक कर) "अच्छा रोजाबिला तुम चुप रहो, भला मुझे अपने कार्य सिद्धि की आशा तो करने दो। महाराज हाथ लाइये, और दृढ़ प्रतिज्ञा कीजिये कि जहाँ अविलाइनो आप के अधिकार अथवा वश में आजाय फिर कोई विषय मुझको रोजाबिला का पति होने में न बाधक होगा"।