आशंका थी कि ऐसा न हो कि महाराज कोई ऐसा दुस्साध्य कार्य्य बतलावें जिसका सिद्ध होना दुस्तर हो, इस कारण उनका असमञ्जस प्रतिक्षण अधिकाधिक हो रहा था।
अन्त को महाराज नेअकस्मात् मध्य आयतन में खड़े होकर फ्लोडोआर्डो का आह्वान किया। फ्लोडोआर्डो अत्यन्त सम्मान पूर्वक उनके समीप गया।
अंड्रियास। "सुन ऐ युवा मैं इस विषय में पूरी विवेचना कर चुका और अब अपनी अनुमति प्रगट करता हूँ। ज्ञात हुआ कि रोजाबिला तुझसे प्रीति करती है, और मैं उसको इस विचार से कदापि निरस्त न करूँगा, परन्तु रोजाबिला ऐसी बहुमूल्य वस्तु है कि मैं उसे किसी राही को (जो पहले पहल उसकी कामना करे) नहीं दे सकता। हाँ! इस नियम द्वारा यह बात संभव है, कि उस व्यक्ति में ऐसे पारितोषिक लाभ करने की योग्यता हो और उसीको रोजाबिला उसकी सेवाओं के बदले में दी जायगी, मेरी अनुमति है कि कोई व्यक्ति चाहे कैसी ही बड़ी सेवा क्यों न करे उसके लिये यह पुरस्कार पूर्ण- तया उचित होगा। अबतक तुमने जो सेवा इस राज्य की की है वह कुछ अधिक नहीं है, अब निस्सन्देह तुम्हारी कार्य- कारिणी शक्ति देखने का अवसर आता है, और वह यह है कि तुम कुनारी, मानफ़रोन, लोमेलाइनो के नाशक को पकड़ लाओ। अर्थात् तुम अविलाइनो को जिस प्रकार संभव हो यहाँ लाकर प्रस्तुत करो। यदि जीवित लास को तो अति उत्तम, नहीं तो उसका शिर ही सन्तोषजनक होगा।
इस संभाषण को सुन कर फ्लोडोआर्डो अवसन्न हो गया। उसके मुख का वर्ण पीला पड़ गया, एवं संज्ञा और चेतना सपाटू पर हो रहीं। अन्त को उसने अपने को ज्यों त्यों सभाल कर यह कहा "महाशय आप भली भाँति जानते हैं कि―"