क्रोध से मुख फेर लिया। उस समय रोजाबिला दौड़ कर अपने पितृव्य से लिपट गई और सप्रेम अपना हाथ उनकी ग्रीवा में डाल कर रुदन करने लगी।
फ्लोडोआर्डो। (फिर अंड्रियास की ओर निरीक्षण कर) "आप अपने शर्तो को बतलाइये कि आप मुझसे क्या कहते हैं, निज मुखारबिन्दसे कथन कीजिये मैं कौन सा कार्य सम्पादन करूँ, जिससे आप रोजाबिला का विवाह मेरे साथ कर दें। जो कुछ आपके जी में आवे कह डालिये, कैसाही कठिन कार्य क्यों न हो, पर मैं उसे एक खेल समान समझूँगा। मेरी तो यह इच्छा है कि परमेश्वर करता कि इस समय बेनिस के लिये कोई बड़ा संकट होता, और दश सहस्त्र मनुष्य आपका जीवन समाप्त करने की चिन्ता में होते, फिर आप देखते कि मैं रोजाबिला के मिलने की आशा पर वेनिस के संर- क्षण और उन दश सहस्र मनुष्यों को बिनाश करने में कितना परिश्रम करता, प्राण भय उपस्थित होने पर भी न टलता।
अंड्रियास। (सखेद मुसकान पूर्वक) "सुन ऐ फ्लोडो आर्डो मैं एक युग से इस देश की हितैषिता कर रहा हूँ, प्रायः इसकी रक्षा के लिये निश्शंक प्राण गँवाने पर तत्पर हो गया हूँ, और कई वार इसी उद्योग में मेरे जीवन के पर्यवसान की आशंका तक उपस्थित हुई है, परन्तु इस बहुत बड़े उद्योग के बदले में मैंने इसके अतिरिक्त कि अपनी वृद्धावस्था सुख पूर्वक समाप्त करूँ और किसी विषय की कामना न की, परन्तु वह अभिलाषा सफल न होने पाई। मेरे बाल्य मित्र, मेरे प्राणोपम मित्र, और मेरे वृद्धावस्था के परामर्श दाताओं को, डाकुओं ने मुझसे पृथक् किया, और आज फ्लोडोआर्डो तुमने, जिसके साथ मैं प्रत्येक प्रकार का उपकार करने को तत्पर था, मेरे समाधान के शेष आश्रय को भी अपहरण कर लिया।