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अष्टादश परिच्छेद
 

यह ऐसा अपराध है जिसे परमेश्वर भी क्षमा कर देगा क्योंकि परमेश्वरने रोजाबिला को इसी योग्य बनाया है कि मनुष्य उसकी पूजा करे"।

अंड्रियास―(तुच्छता के साथ) "तुम इस कल्पित रीति से निर्दोष बनने को वृथा चेष्टा करते हो, स्मरण रक्खो कि मुझसे यह कथन कर क्षमा ले लेना असम्भव है"।

फ्लोडोआर्डो―(पृथ्वी से उठ कर) महोदय! मैं आपसे फिर निवेदन करता हूँ कि मैं रोजाबिला पर मोहित होने के लिये क्षमा नहीं चाहता, बरन यह कहता हूँ कि आप उस प्रीति का सम्मान करें। सुनिये महाशय मैं आपकी भ्रातृजा पर मोहित हूँ, अतएव मेरी यह प्रार्थना है कि आप मुझे निज जमाई बनाने के लिये स्वीकार कीजिये।

फ्लोडोआर्डो की इस बातचीत से महाराज को बड़ा आश्च- र्य्य हुआ। उसने फिर कहना प्रारंभ किया "माना कि मैं एक अकिञ्चन और अपरिचित व्यक्ति हूँ, और आप को आश्चर्य्य होगा कि ऐसा पुरुष वेनिस के नृपति की उत्तराधिकारिणा के साथ विवाह करने के लिये प्रार्थना करे। परन्तु ईश्वर की शपथ है कि मुझको इस बात का पूर्ण विश्वास है कि आप अपनी भ्रातृजा ऐसे पुरुष को न देंगे जिसके पास विभव और पृथ्वी अधिक हो और पदवी भी बहुत सी रखता हो, अथवा जिसका सम्मान उसके पूर्व पुरुषों के कारण हो, परन्तु उसमें योग्यता तनिक भी न हो। मैं स्वीकार करता हूँ कि आज तक मुझ से कोई कार्य ऐसा नहीं संपन्न हुना, कि जिसके बदले में मुझे रोजाबिला सी अप्सरा मिल सके, परन्तु वह समय निकट है जब कि मैं ऐसे कार्य कर दिखाऊँगा और नहीं तो इली उद्योग में अपने जीवन से हाथ धोऊँगा।

इस समालाप और संभाषण को श्रवण कर महाराज ने