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वेनिस का बांका
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तुझे स्वीकार न हो तो तत्काल बेनिस के राज्य से निकल जा नहीं तो मैं शपथ करता हूँ कि"॥

"अहा! आप क्षमा और सहायता की चर्चा करते हैं, बहुत काल हुआ कि मैंने ऐसी व्यर्थ बातों का ध्यान छोड़ दिया। अबिलाइनो आप अपनी रक्षा बिना दूसरे व्यक्ति की सहायता के कर सकता है। रही क्षमा सो कोई मनुष्य मुझे ऐसे अपराधों से जो मैंने किये हैं मुक्त नहीं कर सकता। उस दिन जब कि सब लोग निजकृत अपराधों की तालिका अर्पण करेंगे मैं भी अपनी उपस्थित करूँगा परन्तु अभी कदापि नहीं। आप उस पुरुष का नाम जानना चाहते हैं। जिसने कुनारी को मेरे पुष्टकरों से वध कराया? अच्छा आपको ज्ञात हो जायगा परन्तु आज नहीं। आप कहते हैं कि मैं वेनिस से निकल जाऊँ? क्यों? मैं वेनिस से नहीं डरता, बरन वेनिस मुझसे स्वयं भय करता है। आपकी इच्छा है कि मैं अपने काम को छोड़ दूँ बहुत उत्तम परन्तु एक नियम के साथ-"॥

अंड्रियास―(परमानु राग से) "कहो! यदि तुमको दश सहस्र स्वर्ण मुद्रायें मिलें तब तो यहाँ से चले जावोगे?"॥

अबिलाइनो―"मैं आप तुमको अत्यन्त प्रसन्नता से द्विगुण दूँगा यदि तुम अपने इस अयोग्य विवार को छोड़ दो कि अबिलाइनो ऐसे तुच्छ द्रव्य को अंगीकार करेगा। नहीं अंड्रियास केवल एक ही रीति मुझे प्रसन्न करने की है! तुम अपनी भ्रातृजा का विवाह मेरे साथ कर दो क्योंकि मैं रोज़ा- बिला पर मोहित हूँ"॥

अंड्रियास―"ऐ दुष्टात्मा यह कैसा अपमान है"॥

अबिलाइनो―(अट्टहास करके) "सुनो चचा क्या तुम मेरे कथन को न स्वीकार करोगे?"॥

अंड्रियास―"तुम जितनी मुद्रायें चाहो मैं अभी उपस्थित