[ बंद और उनका साहित्य बस गये प्रतीत होते है. क्योंकि जहाज के योग्य लकड़ी वहीं मिल सकती धी। इन्हीं लोगों ने मेसोपोटामियां में उपनिवेश स्थापित किया और वेवोलियन साम्राज्य स्थापित किया। ये भूमध्य समुद्र के किनारे सीरिया भी पहुँचे। इसी जाति ने वास्तव में योरप का प्रारम्भिक इतिहास बनाया और मेसोपोदामिया, ईजिद, फोनेशिया, उत्तर थफ्रीका, धौर स्वीडन में उपनिवेश बसाये। उन दिनों मध्य एशिया जल में डूबा हुथा था, इस लिए एशिया माइनर में योरप जाने का एक मात्र मार्ग पोन्टम बाप रस की संयोग भूमि थी। इसी मार्ग से श्रायों ने यहाँ जाकर सेमिटिक जाति का निर्माण किया। इस बात को स्वीकार करने के बहुत कारण है कि ईरानी लोग विशुद्ध थाप हैं। आर्य सभ्यता के बड़े भारी चिन्ह ईरान में हैं। श्रार्य स्वों के नाम वहाँ के नगरों को अभी तक दिए हुए हैं। वे धार्यों से सिर्फ एक विषय विरुद्ध पड़े प्रतीत होते है,वह यज्ञों की प्राधानता है, जो ब्राह्मणों ने प्रचलित की थी और जिसमे बड़े बड़े श्राउपर किये जाते थे। ये प्राचीन पद्धति पर केवल गृह होमाग्नि को ही सुरक्षित रखना चाहते थे, जैसा कि अब तक रखते हैं। पहला दल जहाँ साम्राज्य स्थापना और में बद रहा था वहाँ यज्ञों में पशुवध और सोमपान का प्रचार भी कर रहा था। ये दोनों बाते इस दूसरे दल को पसन्द न पड़ी। धई बन्दी हुई । फिर मार पीर और रसपात हुए। ये लोग यज्ञ पक्ष वालों को घृणा पूर्व के 'सुर शराब पीने वाले, कहने लगे और वे उन्हें व्यंग से 'थमुर, कहने लगे। इन देवासुर संग्रामों का वर्णन पुराणों बहुत है। अन्त में प्रसुरों को अपना स्थान श्यागना पड़ा और उन्होंने भार्य- नम्बेजो में बड़े साम्राग्य की स्थापना की। सन १६00 में 'बोगले' ग्राम मे, जो एशिया माइनर के अन्त-
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