पृष्ठ:वेद और उनका साहित्य.djvu/१२५

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छठा अध्याय] ३२३ . (२) शैलालि ब्राह्मण-यापस्तम्ब श्रौत ६.४.७ पर उद्धृत है, (१३) कौसकि ब्राह्मण, गोभिल गृह्य सूत्र ३.२.५ पर उद्धृत है, किन्तु सम्भव है कि यह धर्मस्कन्ध ब्रा०, अन्तर्यामी ब्रा० दिवाकी से ब्रा०, धिपण्य प्रा०, शिशुमार ब्रा० आदि के समान यह भी किसी ना० का भाग हो। (११) खाण्डिकेय ब्राह्मण, ( यजुर्वेदीय ) भापिक सूत्र ३.२६ पर उद्धत है। (१५) श्रौखेय ब्राह्मण ( यजुर्वेदीय) भापिक सूत्र ३-२६ पर उद्- (१६) हारिद्रविक ब्राह्मण । (१७) तुम्बर माह्मण । (१८) पारुणेय बापण-ये अन्तिम तीनों ब्राह्मण महाभाप्य ४.३.१०४ पर उल्लिखित हैं। ब्राह्मणों का संकलन काल वृष्टदारण्यक ४ । ६ । ३ तथा ६ । ५। ४ के वंश ब्राह्मणों के अनु- सार प्रामण वाक्यों का भादि प्रवचन कर्ता ब्रह्मा माना गया है। प्रजापति, मन्वादि महपियों का नाम भी चाह्मण वाक्यों के प्रवचन कर्ताथों में लिया जाता है। कई एक ग्राह्मण अंशों के प्राचीन होने पर भी यह निश्चय करना कठिन है कि उनका वास्तविक काल क्या था । हाँ, यह कहा जा सकता है कि इन सब का संकलन महाभारत काल में कृष्ण द्वैपायन, वेद- ग्यास तथा उनके शिप्य प्रशिष्यों ने किया था । शतपथ थादि वाह्मणों में अनेक स्थलों पर उन ऐतिहासिक व्यक्तियों के नाम पाये जाते हैं जो महाभारत काल के कुछ ही पहिले के थे, यथा- (1) तेन हैन भरतो दीपन्तिरीजे.........