[ वेद और उनका साहित्य (६) जाबाल ब्राह्मण, (यजुर्वेदीय ) जाबाल श्रुति का एक लम्बन उद्धरण बाल क्रीड़ा भाग २, पृ० १४, १५ पर उद्धत है । यह संभवतः प्रामण का पाठ होगा। वृहजाबालोपनिषद नवीन है, परन्तु जाबाल उपनिषद् प्राचीन प्रतीत होता है । इस शाखा का महा-सूत्र (नाबालिग्रह्य) गौतम धर्ममूत्र मस्करी भाग्य के पृ० २६७, ३८६ पर उद्धन है। (७) पैङ्गी ब्राह्मण-इमका ही दूसरा नाम पैगाय बाह्मण वा पैगायलि ब्राह्मण भी है। यह प्रापस्तम्ब श्रौतसूत्र ५, १८. ८, ५. २१ । में उद्धत है। श्राचार्य शंकर स्वामी भी इसे शारीरिक सूत्र भाष्य में उद्धत करते हैं। पैट्टी कृत्य का उल्लेख महासाप्य ४. २ ६६ में कया गया है। {1) शाय्यायन प्राह्मण-1 सामवेदीय ?) यापस्तम्ब श्रौतसूत्र , १२-१३, १४ ॥ २१, १६०४, १८, पुष्पसूत्र ८८.१८४ में उद्धत है। सायण अपने ऋग्वेद भाष्य और तारडय माह्मण भाष्य में इसे बहुत उद्भत करता है। इसी का कल्प बालक्रीड़ा भाग १, पृ० ३८ पर उद्धृत है, (१) कति ब्राह्मण 'मापस्तम्ब श्रौतसूत्र १४-२०-४ पर उद्धत है, महाभाष्य ४.२.६६ कीलहान सं० पृ. २८६५० १२पर ककिनाः प्रयोग है, इससे भी कंकति शाखाके अस्तिव का पता लगता है । (१०) सौलभ ब्राह्मण-महाभाष्य १.२.६६, ४.३.१०५, पर इसका उल्लेख है। (११)कालबवि प्रालय-(सामवेदीय) आपस्तम्ब श्रौत २०.६.६ पर उद्धृत है। पुष्पसूत्र प्रपाठक ८-८-१८४ पर भी यह उद्धत
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