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तीन माह से ज्यादा मकान मालिक भी
किराए की उधार नहीं करता
हर उधार की हद तीन माह से बड़ी नहीं होती

और तुम
ढीठ
मूढ
जड़ बने रहे तीन माह?
ओ जड़ सत्ता के मुखिया

तीन माह
जो ठहर जाता है न तूफानों के सामने
वह विस्तार का आधार पा जाता हे

आप यह बात
समझ नहीं रहे राजा जी!

 

वीरेंदर भाटिया : चयनित कविताएँ 96