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90 दिन

90 दिन तीन माह होते हैं राजा जी
तीन माह में एक भ्रूण
प्राण को प्राप्त कर लेता हे
तीन माह में बीज
विकसित होकर फूल होने लगता है
तीन माह में सब्जी पक कर बाजार में आ जाती है
तीन माह में किसान
फसल पकने की उम्मीद बांधने लगता है

तीन माह में नव ब्याही लड़की
नए घर में समायोजित होने लगती है
तीन माह में कोई आदत
अपना स्वरूप बदल लेती है
तीन माह में हमारी मनस्थिति की
अवस्था बदल जाती है
तीन माह में एक मौसम बदल जाता है

तीन माह में एक चूहा लम्बा और गहरा बिल खोद लेता है
तीन माह में एक चिड़िया घोंसले को बुन लेती है पूरा
तीन माह में मधुमखियों का छत्ता
शहद से भर जाता है
तीन माह में कैंसर पूरे जिस्म में फैल जाता है
तीन माह में कोई बिस्तर पर पड़ा मरीज
मरने की दुआ मांगने लगता है
तीन माह में तीमारदार भी हाथ खड़े कर देता है अंततः

 

वीरेंदर भाटिया : चयनित कविताएँ 95