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वे किसान थे


जिन्होंने मुल्क की बंजर भूमि पर
हरियाली की इबारत लिखी
वे किसान थे

जिन्होंने कांटे चुनकर अपने पास रख लिये
और फूल तुम्हें भेजे
जिन्होंने जड़े अपने पास रखी
और फल तुम्हें भेजे
वे किसान थे

किसान को खेत में रहना था
खेत का होकर
फिर किसी दिन उसे मालूम हुआ
कि मुल्क का लोकतंत्र बंजर होने लगा है

किसान को सबसे ज्यादा चिढ़
बंजर शब्द से है
किसान ने कहा
बन्जर से बन्जर जमीन
एक बरस में उपजाऊ हो जाती है

कितना सही था किसान का अनुभव
कितना बेहतर जानता है मुल्क को
खेत तक सीमित किसान

 

वीरेंदर भाटिया : चयनित कविताएँ 93